नेशनल
पठानकोट एयरबेस में सेना की वर्दी में दिखे संदिग्ध, मंडराया आतंकी हमले का साया
पठानकोट एयरबेस के पास बुधवार देर रात हथियारबंद संदिग्धों को देखे जाने से हडक़म्प मच गया है। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार यह संदिग्ध सेना की वर्दी पहने हैं और इनके पास हथियार भी मौजूद हैं। आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक बुधवार(19 अप्रैल) करीब रात 12 बजे सेना की वर्दी में तीन लोगों ने हिमाचल की तरफ से आने वाली एक गाड़ी से लिफ्ट मांगी और चालक ने उन्हें लिफ्ट दे दी। रास्ते में युवक को शक हुआ तो उसने सेना की वर्दी पहने हुए तीनों संदिग्धों से पूछताछ की। वाहन चालक कुछ कर पाता इससे पहले ही संदिग्धों ने उसे मारपीट कर गाड़ी से उतार दिया और गाड़ी लेकर फरार हो गए।
उन्होंने कार को गांव कोट भट्टियां में छोड़ दिया और वहां से एक क्रेटा या ब्रेजा कार में गए। यह क्रेटा व ब्रेजा कार कहां से आई और किसकी थी, इसका पता नहीं चल सका। भारतीय सेना ने संदिग्धों द्वारा अगवा की गई कार को बरामद कर लिया है।
आशंका जताई गई कि इन संदिग्धों की संख्या दो से अधिक भी हो सकती है। संदिग्धों के पास फोल्ड होने वाली राइफल व अन्य हथियार भी हैं। सूचना मिलने के बाद सेना ने पूरे इलाके को हाई अलर्ट पर रखा हुआ है। संदिग्धों की तलाश में सेना की ओर से तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
बता दें कि पठानकोट एयरबेस पर 2016 में हमला हो चुका है। उस समय पाकिस्तानी आतंकी अंदर घुस गए थे। कई दिनों की कार्रवाई के बाद उनको मार गिराया गया था।
हथियारबंद संदिग्धों के फिदायीन होने का शक है। उनकी तलाश में अभियान तेज कर दिया गया है। इसके साथ ही किसी तरह के आतंकी हमले से निपटने के लिए तैयारी की गयी है। आईजी बार्डर रेंज व पठानकोट के एसएसपी विवेक सोनी पूरे मामले पर नजर रख रहे हैं और सच ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं।
नेशनल
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात
कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’
4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।
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