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खेल-कूद

हमने क्रिकेट के भगवान को नहीं बख्शा, माही तुम क्या चीज़ हो!

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माही

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महीने भर पहले आईपीएल में आग उगलने वाले धोनी के बल्ले को अचानक क्या हो गया? मैदान पर दहाड़ मारने वाला शेर इतना खामोश कैसे हो गया। कहीं यह आने वाले तूफ़ान से पहले की खामोशी तो नहीं। अभी तक जो योद्धा निडरता से अपनी सेना का नेतृत्व कर रहा था अचानक उसकी तलवार की धार बेअसर कैसे हो गयी। क्या वाकई यह वक़्त आ गया है जब माही को सम्मान में साथ मैदान छोड़ देना चाहिए। उन्हें अपने तलवार को म्यान में रख देना चाहिए। मैं इस बात से अभी सहमत नहीं हूँ, मैं उन मौकापरस्त क्रिकेटप्रेमियों में से नहीं हूँ जिन्होंने बुरे वक्त में क्रिकेट के भगवान तक को नहीं बख्शा।

माही

वह बल्लेबाज जो वर्षों से भारत के लिए मैच फिनिश करता आ रहा हैं उसे इस बात की खबर ही नहीं कि उसका करियर फिनिश होने की कगार पर है। हमारे यहाँ एक्सपर्ट तो पहले ही तय कर चुके हैं कि किस खिलाड़ी को कब रिटायर होना। इन्हीं सब को देखते हुए मन के अंदर एक डर सा बैठ गया है, कि माही भी इस शोर-शराबों बीच जल्द ही ब्लू जर्सी न त्याग दे। वह खिलाड़ी जिसने इस देश के क्रिकेट प्रेमियों के ख्वाब को हकीकत में बदला। वह लड़का जिसने रांची जैसे छोटे शहर की पहचान बताई। वह इंसान जो आज मेरे जैसे कई छोटे शहर के युवाओं का रोल मॉडल है। रोल मॉडल यानी हीरो। अब अपने हीरो को हारता देख कोई भी इंसान टूट सकता है।

माही

हमने देखा है कि 1983 के बाद जब भी कोई विश्व कप होता, तो हमारी टीम उसी 83 की मीठी यादों के साथ भाग लेने जाती थी, और खाली हाथ लौट आती थी। कभी सेमीफाइनल, कभी फाइनल तो कभी ग्रुप स्टेज से ही बाहर होकर टीम को वतन वापस आना पड़ता था। लेकिन एक युवा के कन्धों पे जिम्मेदारी सौपी गयी। जिसने अभी धमाल मचाना शुरू ही किया था। यह वैसे ही था जैसे घर में बड़े भाई के होते हुए छोटे भाई को सभी जिम्मेदारियां सौंप दी जाती हैं।

माही

धोनी को जब टीम इंडिया की कमान सौंपी गयी तो किसी को उम्मीद नहीं थी यह लड़का इतनी कमाल करेगा। लेकिन धोनी ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के सपने को हकीकत में बदल दिया। कौन भूल सकता है 2011 विश्व कप फाइनल का वो गगनचुंबी छक्का जिसने इस पूरे देश को जश्न मनाने पर मज़बूर कर दिया। कौन भूल सकता है 2007के ट्वेंटी-ट्वेंटी विश्व कप के फाइनल में लिया गया वह साहसिक फैसला, जिसने टीम को विश्व कप का विजेता बना दिया।

माही

आज वह विश्व विजेता कप्तान अपने क्रिकेट करियर के आखिरी पड़ाव में है। एक सीरीज ख़राब होने से हम उसकी आलोचना नहीं कर सकते। हर खिलाड़ी के लिए करियर का आखिरी पड़ाव थोड़ा मुश्किलों से भरा होता है। इसका ये कतई मतलब नहीं बनता कि वो जाबांज खिलाड़ी अब हार चुका है। हमें इस खिलाड़ी पर भरोसा रखना चाहिए और कम से कम 2019 के विश्व कप तक उसे लगातार मौका देना चाहिए। क्या पता एक और गगनचुंबी छक्का हमे 2019 का विश्व कप भी दिला दे? जिसने हमें जश्न मनाने के लिए इतने मौके दिए,उसके लिए इतना मौका तो बनता है।

खेल-कूद

ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को दो विकेट से रौंदा, पैट कमिंस ने खेली कप्तानी पारी

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मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच वनडे सीरीज का आगाज हो चुका है। पहला वनडे मैच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया जिसमें मेजबान ऑस्ट्रेलिया ने रोमांचक अंदाज में जीत दर्ज की। ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 2 विकेट से हराकर 3 मैचों की वनडे सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल की।पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान की पूरी टीम 50 ओवर भी नहीं खेल सकी। पाकिस्तान की टीम 46.4 ओवरों में महज 203 रनों पर ढेर हो गई। पाकिस्तान की ओर से सबसे ज्यादा रनों की पारी मोहम्मद रिजवान ने खेली। रिजवान ने 71 गेंदों पर 2 चौके और 1 छक्के की मदद से 44 रनों की पारी खेली। इसके अलावा नसीम शाह ने 40 रनों का योगदान दिया।

दो विकट से जीता ऑस्ट्रेलिया

204 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया की शुरुआत भी कुछ खास नहीं रही। ऑस्ट्रेलिया ने 28 रनों तक मैथ्यू शॉर्ट और जेक फ्रेजर मैकगर्क के विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद स्टीव स्मिथ और जोश इंग्लिश ने मिलकर स्कोर 113 रनों तक पहुंचाया। स्मिथ 44 रन बनाकर जबकि जोश 49 रन बनाकर आउट हुए। इसके बाद एक के बाद एक विकेट गिरते चले गए और ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 185 रनों पर आठ विकेट हो गया। कप्तान पैट कमिंस ने स्टार्क के साथ मिलकर टीम को दो विकेट से रोमांचक जीत दिलाई।

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