उत्तराखंड
उत्तराखंड में फिर से बनेगी चीड़ के पत्तों से बिजली
उत्तराखंड में चीड़ की पत्तियों से बिजली बनाने का काम काफी पुराना है, लेकिन पत्तों से बिजली बनाने की पिरुल निति कई दिनों से रुकी हुई थी। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट बैठक में पिरुल (चीड़ के पत्ते) से बिजली बनाने की नीति को उत्तराखंड सरकार ने मंजूरी दे दी है।
प्रदेश सरकार ने संविदा के ज़रिए सरकारी कार्यालयों में कार्यरत संविदा कर्मियों का वेतन 1500 रुपए बढ़ा दिया गया है। पीआरडी के कर्मचारियों की दिहाड़ी 50 रुपए प्रतिदिन बढ़ी है। राज्य में पिरूल से 150 मेगावाट बिजली पैदा करने की संभावना जताई गई है। वर्ष 2019 तक एक मेगावाट बिजली बनाने, वर्ष 2030 तक 100 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जनता पिरूल से बिजली बनाएगी और सरकार खरीदेगी।
कैबिनेट बैठक में इन मुद्दों पर बनी सहमति
पीआरडी कर्मचारियों का प्रतिदिन 50 रुपये बढ़ाने का लिया गया फैसला।
उत्तराखंड बहुउद्देशीय विकास निगम को सातवें वेतनमान की मंजूरी।
हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल परिसर में 2900 वर्ग मीटर हिस्सा उत्तरप्रदेश को देने पर सहमति।विधानसभा के बजट सत्र के सत्रावसान के लिए कैबिनेट की संस्तुति।
संविदा कर्मचारियों के वेतन वृद्धि पर कैबिनेट की मुहर।
हर वर्ग के कर्मचारी को 1500 रुपए का मिलेगा अतिरिक्त लाभ।
केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों के 3 पुराने आवासों को पूर्ण रूप से ध्वस्त किया जाएगा।
जिंदल ग्रुप बनाएगा नए भवन, डीएम देंगे जगह।
राज्य में पिरूल नीति को मंजूरी।
पिरूल से बिजली बनाने की योजना। प्रतिवर्ष 150 मेगावाट तक बिजली हो सकेगी उत्पादित।
एक मेगावाट तक कि परियोजना ग्रामीण लगा सकते हैं। इसमें जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।
सहकारिता सहभागिता योजना को कैबिनेट ने किया समाप्त।
सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्योगों में वैट की जगह SGST एसजीएसटी के रूप में मिलेगी सब्सिडी।
12 फीट 3.75 मीटर से ऊपर की सड़कें पीडब्लूडी बनाएगा , उससे नीचे की सड़क संबंधित बोर्ड बनाएगा।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
-
आध्यात्म2 days ago
पारंपरिक गीतों के बिना अधूरा है सूर्य उपासना का महापर्व छठ
-
नेशनल3 days ago
लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर, पीएम मोदी, नितीश कुमार समेत बड़े नेताओं ने जताया शोक
-
मनोरंजन1 day ago
बिग बॉस 18 में कशिश कपूर ने अविनाश मिश्रा को लेकर कही दिल की बात
-
नेशनल2 days ago
दिल्ली की हवा में घुला जहर, कई इलाकों में AQI 400 तक पहुंचा
-
मनोरंजन2 days ago
बिग बॉस सीजन 18 अब अपने मजेदार मोड़ पर, इसी बीच चार लोग हुए नॉमिनेट
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
हरदोई में भीषण सड़क हादसा, डीसीएम-ऑटो की टक्कर में 10 की मौत
-
प्रादेशिक2 days ago
झारखंड राज्य आदिवासियों का है और वे ही इस पर शासन करेंगे: हेमंत सोरेन
-
मनोरंजन11 hours ago
ईशान खट्टर अपनी रूमर्ड गर्लफ्रेंड चांदनी के साथ डिनर डेट पर गए, मीडिया को देख चौंका कपल