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उत्तराखंड

अलग-अलग सड़क हादसों में तीन लोगों की मौत

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उत्तराखंड में दो अलग-अलग सड़क हादसों, तीन लोगों की मौत, कासली-सहिया मोटर मार्ग, कोटद्वार-पौड़ी मार्ग पर गुमखाल

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उत्तराखंड में दो अलग-अलग सड़क हादसों, तीन लोगों की मौत, कासली-सहिया मोटर मार्ग, कोटद्वार-पौड़ी मार्ग पर गुमखाल

road accident in uttarakhand

देहरादून। उत्तराखंड में दो अलग-अलग सड़क हादसों में तीन लोगों की मौत हो गई। पहले हादसे में एक टवेरा कार अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरी। दूसरा हादसा कासली-सहिया मोटर मार्ग पर गुरुवार देर रात 11 बजे हुआ, जिसमें दो लोगों की मौके पर मौत हो गई।

शुक्रवार को कोटद्वार-पौड़ी मार्ग पर गुमखाल के पास एक टवेरा कार अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में विपुल शर्मा (22) पुत्र श्याम सिंह निवासी जावल अलीगढ़ की मौत हो गई। जबकि विरेंद्र कुमार (26) पुत्र भरत लाल निवासी गाजियाबाद घायल हो गया। हादसे का कारण तेज बरसात और कोहरा बताया गया।

उधर, कालसी-सहिया मोटर मार्ग पर गुरुवार देर रात करीब 11 बजे महिंद्रा पिकअप यूके16सीए0482 दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई और तीन लोग घायल हो गए। बताया गया कि वाहन में पांच लोग सवार थे और सेब की पेटियां लेकर खरौड़ा से दिल्ली मंडी जा रहे थे।

मृतकों के नाम तारा दत्त (48) पुत्र सुर्जू, भागी राम (35) पुत्र रण सिंह दोनों निवासी खरौड़ा हैं। घायलों के नाम मूरत राम (63) पुत्र दत्तराम, रणेश्वर पुत्र मया दोनों निवासी खरौड़ा और चालक रवि पुत्र फतेह सिंह निवासी कालसी है। बताया गया कि मूरत राम गंभीर रूप से घायल हैं। जिन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया है।

 

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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