अन्तर्राष्ट्रीय
रूस की अमेरिका को दो टूक, हमें धमकी न दो, तनाव कम करने में जोर दो
मॉस्को। रूस और यूक्रेन के बीच जंग को अब एक महीना होने वाला है। रूस लगातार यूक्रेन पर बम बरसा रहा है। अब रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने मंगलवार को कहा कि अगर वाशिंगटन मास्को के साथ संबंध सामान्य करना चाहता है तो उसे तनाव बढ़ाना बंद करना चाहिए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रूसी मीडिया रिपोटरें का हवाला देते हुए सिन्हुआ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रयाबकोव ने यह भी कहा है कि अमेरिका को रूस को धमकी देना बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा, उन्हें मौखिक रूप से और कीव शासन को हथियार भेजने के मामले में हो रही वृद्धि को रोकने की जरूरत है। उप विदेश मंत्री ने संबंधों की स्थिति के लिए अमेरिका को दोष देते हुए कहा, इस बीच, हम संबंधों में गिरावट देख रहे हैं।
रयाबकोव ने कहा, हमें इसका खेद है। हालांकि, विशेष सैन्य अभियान के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करने और अमेरिकी प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप परिस्थितियों के अनुकूल होने के हमारे ²ढ़ संकल्प पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
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इस देश में नहीं मिलेगा किसी को मृत्युदंड, जानें क्या है वजह
नई दिल्ली। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपराधियों को मौत की सजा देने को लेकर बहस का दौर जारी है। एक ओर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मृत्युदंड की सजा को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाने की बात कही है। तो वहीं, अब एक ऐसा देश सामने आया है जिसने अपने यहां मौत की सजा के प्रावधान को खत्म ही कर दिया है। यानी कि अब इस देश में किसी भी शख्स को मृत्युदंड नहीं मिलेगा। आपको बता दें किमौत की सजा खत्म करने वाले इस देश का नाम जिम्बाब्वे है।
कानून को राष्ट्रपति से मिली मंजूरी
अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में मृत्युदंड की सजा के प्रावधान को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मनंगाग्वा ने इस सप्ताह मृत्युदंड को खत्म करने के कानून के प्रावधान को मंजूरी दे दी है। जिम्बाब्वे में आखिरी बार किसी कैदी को लगभग दो दशक पहले मौत की सजा दी गई थी। इस कारण से ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा था कि जिम्बाब्वे मौत की सजा खत्म करने का कदम उठा सकता है।कभी
राष्ट्रपति एमर्सन को भी सुनाई गई थी मौत की सजा
आपको एक खास बात बता दें कि जिम्बाब्वे के वर्तमान राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा को भी कभी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साल 1960 के दशक में उन्हें ये सजा दी गई थी। एमर्सन मनांगाग्वा का जन्म साल 1942 में हुआ था। उन्होंने उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया था जिस कारण उन्हें दस साल जेल में भी रहना पड़ा था। वर्तमान में वह 2017 से जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं।
जिम्बाब्वे में ऐसे कितने कैदी हैं?
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1960 के दशक में मनंगाग्वा को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे में करीब 60 कैदी ऐसे हैं, जिन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, अब इस नए कानून के आने के बाद सभी की सजा को माफ कर दिया जाएगा। बता दें कि जिम्बाब्वे में अंतिम बार किसी को साल 2005 में मौत की सजा दी गई थी।
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