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SC ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला, आपकी प्राइवेसी है आपका मौलिक आधार

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि निजता का अधिकार (राइट टू प्रिवेसी) मौलिक अधिकार है और यह जीवन एवं स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय पीठ ने एक मत से यह फैसला दिया।

इस फैसले का सोशल नेटवर्क व्हाट्सएप की नई निजता नीति पर भी असर पड़ेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 सितंबर, 2016 को दिए अपने आदेश में व्हाट्सएप को नई निजता नीति लागू करने की इजाजत दी थी, हालांकि अदालत ने व्हाट्सएप को 25 सितंबर, 2016 तक इक_ा किए गए अपने यूजर्स का डेटा एक अन्य सोशल नेटवर्किंग कंपनी फेसबुक या किसी अन्य कंपनी को देने पर पाबंदी लगा दी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इसी पर गुरुवार को फैसला आया।

सर्वोच्च न्यायालय की नौ न्यायाधीशों प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. खेहर, न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर वाली संविधान पीठ ने दो सप्ताह की सुनवाई के बाद दो अगस्त को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मामले पर सुनवाई 19 जुलाई को शुरू हुई थी और दो अगस्त को संपन्न हुई। यह पूरा मामला तीन सदस्यीय पीठ द्वारा आधार योजना को निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई के दौरान दिए गए संदर्भ से जुड़ा हुआ है।

मामले में मुख्य याचिकाकर्ताओं में कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के. एस. पुट्टास्वामी, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहली अध्यक्ष एवं मैग्सेसे अवार्ड विजेता शांता सिन्हा और नारीवादी शोधकर्ता कल्याणी सेन मेनन शामिल हैं।

मामले में केंद्र सरकार ने 1954 में आठ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले और 1962 में छह न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए फैसले का संदर्भ देते हुए कहा है कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार नहीं है।

केंद्र सरकार का कहना है कि 70 के दशक के मध्य में दो या तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दिए गए कई फैसलों में निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार बताया गया था, लेकिन 1954 और 1962 में बड़ी पीठों द्वारा दिए गए फैसले इस मामले का आधार बनते हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित महाराष्ट्र और गुजरात ने जहां निजता के अधिकार को मूल अधिकार नहीं माना है, वहीं कांग्रेस शासित कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी और तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल का कहना है कि निजता का अधिकार मूल अधिकार है।

आधार योजना की शीर्ष नियामक संस्था भारतीय विशेष पहचान प्राधिकरण ने भी कहा है कि निजता का अधिकार मूल अधिकार नहीं है और नागरिकों से एकत्रित उनके निजी डेटा की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय मौजूद हैं।

इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद एक नियमित पीठ आधार योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी।

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पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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