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बिजनेस

शेयर बाजार : आम बजट पर रहेगी निवेशकों की नजर

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एनएसई, लिस्टिंग समिति के गठन की घोषणा

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मुंबई| देश के शेयर बाजारों में अगले सप्ताह आम बजट 2016-17 पर निवेशकों की नजर बनी रहेगी। इसके साथ ही प्रमुख आर्थिक आंकड़ों, वैश्विक संकेतों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) और घरेलू संस्थागत निवेश (डीआईआई) के आंकड़ों तथा डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल व तेल की कीमतों पर भी निवेशकों की नजर बनी रहेगी। संसद का बजट सत्र मंगलवार 23 फरवरी को शुरू हो चुका है। रेल बजट गुरुवार 25 फरवरी को पेश हुआ और आर्थिक सर्वेक्षण शुक्रवार 26 फरवरी को पेश हुआ। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली 29 फरवरी को लोकसभा में आम बजट पेश करेंगे। सत्र 13 मई को समाप्त होगा। इस बीच 17 मार्च से 23 अप्रैल तक सत्रावकाश होगा। जेटली आम बजट में कारपोरेट कर को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी तक लाने की योजना पेश कर सकते हैं। उन्होंने पिछले साल के बजट में कहा था कि इसे 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी तक लाया जाएगा।

एफपीआई और डीआईआई के आंकड़ों पर बनी रहेगी निवेशकों की नजर

निवेशकों की नजर वित्तीय घाटे को कम करने की योजना पर भी रहेगी। मंत्री ने पिछले साल वित्तीय घाटा कम करने की योजना को थोड़ा आगे बढ़ाते हुए कहा था कि 2015-16 में यह 3.9 फीसदी, 2016-17 में 3.5 फीसदी और 2017-18 में तीन फीसदी पर लाया जाएगा। निवेशक बजट में कर ढांचे में थोड़े बदलाव की भी उम्मीद कर रहे हैं, ताकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए अनुकूल जमीन तैयार हो सके। निवेशक बैंकों में पूंजी निवेश की योजना, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर, अवसंरचना विकास, रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा के संबंध में घोषणाओं पर निगाह लगाए रहेंगे। आयकर छूट, तथा विभिन्न निवेश योजनाओं में कर छूट की सीमा बढ़ाए जाने की घोषणा की भी उम्मीद की जा रही है। आगामी सप्ताह वाहन कंपनियों के शेयरों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। ये कंपनियां मार्च की पहली तारीख से फरवरी में हुई बिक्री के आंकड़े जारी करना शुरू करेंगी। निवेशकों की नजर तेल विपणन कंपनियों क शेयरों पर भी रहेगी। ये कंपनियां हर महीने के मध्य और आखिर में गत दो सप्ताह के अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों के आधा पर खुदरा तेल मूल्य की समीक्षा करती हैं।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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