प्रादेशिक
लोकनिर्माण एवं सिंचाई विभाग की कई परियोजनाओं का लोकापर्ण एवं शिलान्यास
मुरादाबाद के विकास के लिए हर सम्भव प्रयास करेगी सरकार: शिवपाल
लखनऊ/ मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने आज जनपद मुरादाबाद में प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं, नीतियों कार्यक्रमों पर चर्चा करते हुए बताया कि मुरादाबाद की जनता को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा था तत्कालीन जिलाधिकारी के प्रयासों से यहां पुल बनने से यहां की जनता को अब इससे निजात मिल गई है। उन्होंने कहा कि सरकार मुरादाबाद के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, हर संभव प्रयास करेगी। हर आदमी को स्वास्थ्य सेवायें स्थानीय एवं ग्राम स्तर पर मुहैया हो इसी सोच के साथ वर्तमान सरकार द्वारा 102 एवं 108 एम्बुलेंस सेवायें शुरू कर गई है। जो जरूरत पड़ने पर मांग के अनुसार पहुंच जाती है। गरीब एवं असहाय लोगों को सरकारी अस्पतालों में सभी दवाईयां मिले इसके लिए आवश्यक निर्देश स्वास्थ्य अधिकारियों को दिये गये है। उनका मानना है कि साधन सम्पन्न लोग सरकारी अस्पतालों में कम ही इलाज कराते है।
आमजन के स्वास्थ्य हेतु उप्र सरकार कर रही है सभी सम्भव व्यवस्था
उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर जहां जच्चा-बच्चा की उचित देखभाल होती है वहीं उनको खाने पीने के लिए धनराशि भी दी जाती है। ग्राम स्तर पर आशायें और ए.एन.एम. गर्भवती महिलाओं का परीक्षण समय समय पर करके उन्हें सलाह मशविरा देकर अस्पताल में प्रसव कराने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने बताया कि आँगनबाड़ी सर्वेक्षण अभियान में चिन्हित किये गये कम वजन वाले कुपोषित बच्चो के इलाज के लिए जिला अस्पताल में विशेष व्यवस्था की गई है। जिला अस्पताल में बने सी.एम.ओ. कार्यालय के नये भवन का उदघाटन तथा लोक निर्माण एवं सिचाई विभाग की कई योजनाओं का लोकापर्ण तथा शिलान्यास करते हुए शिवपाल ने कहा कि आज कई परियोजनाओं का मुरादाबाद की जनता के लिए लोकार्पण तथा शिलान्यास किया है इससे यहां के विकास को गति मिलेगी।
उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियो से प्रतिदिन पंजीकृत होने वाले मरीजों के सम्बंध में फीड बैक रिर्पोट ली और कहा कि आम जनता को अस्पताल में इलाज कराने में कोई परेशानी न हो इसको सुनिश्चत किया जाये। अस्पताल में सभी दवाइयां मरीजो को मिले और बाहर से दवाई न लिखी जायें। उन्होंने कहा कि जनस्वास्थ्य के प्रति वर्तमान सरकार जागरूक है और हर संभव व्यवस्था की जा रही है। इस अवसर पर आयुक्त सुभाष चन्द शर्मा, डी.आई.जी. ओंकार सिंह, मंत्री इकबाल महमूद, शहर विधायक इकराम कुरेशी, सदस्य राज्य महिला आयोग राजेश कुमारी यादव, एसएसपी नितिन तिवारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजीव यादव, मुख्य विकास अधिकारी सहित लोक निर्माण विभाग, सिचाई विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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