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उत्तराखंड

बाबा रामदेव ने बताई कोरोना वायरस की बेजोड़ दवा! कहा – इन दो बातों का रखें ध्यान

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बाबा रामदेव

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आयुर्वेद कर सकता है कोरोना उपचारये बात योगाचार्य बाबा रामदेव ने कही है। उन्होंने कहा है कि दो बातों का ध्यान रखना है पहली कि हम घबराएं नहीं तथा सावधानी पूरी रखें और दूसरी बात कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्युनिटी को अधिकतम बढ़ाने का प्रयास करें।

बाबा रामदेव ने कहा कि सैनेटाइजर आप घर पर भी बना सकते हैं। इस आयुर्वेदिक सैनेटाइजर को बनाने की विधि बताते हुए कहते कि एक लीटर पानी में 100 ग्राम नीम के पत्ते और तुलसी के दस पत्ते ले कर उनको पानी में मिलाकर उबाल लें। उबल जाने के बाद इस पानी को छानकर ठंडा क लें और फिर इसमें बारीक पइसे हुए दस ग्राम फिटकरी और दस ग्राम कपूर को घोल कर एक बोतल में भर कर रख लें।

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बाबा रामदेव  ने कहा कि वायरस को मारने के उद्देश्य से बहाया गया ये आयुर्वेदिक सेनिटाइजर बाजार में बिकने वाले महंगे सेनिटाइजर से कई गुना ज्यादा ताकतवर है। इन दवाओं से बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण नेे बताया कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय वटी, तुलसी वटी, नीम वटी, अदरक और नींबू का रस एक साथ लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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