हेल्थ
उपवास के दौरान कैसे रखे मधुमेह का ध्यान
नई दिल्ली| रमजान के दौरान जो मधुमेह के मरीज उपवास करते हैं, उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए उन्हें डॉक्टरी सलाह के बाद ही उपवास करना चाहिए, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है। रमजान के दौरान आमतौर पर सुबह से शाम तक उपवास रखा जाता है और यह एक महीने तक चलता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भोजन में इतने लंबे समय तक का अंतर जो अमूमन 12 से 15 घंटों तक का होता है, उसके कारण शरीर के चयापचय में परिवर्तन आ जाता है, जिससे मधुमेह के मरीजों को काफी गंभीर स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती है। मैक्स सुपर स्पेशियिलटी अस्पताल, साकेत के निदेशक (मधुमेह व मोटापा केंद्र) विकास अहलुवालिया का कहना है, “अगर आपको मधुमेह है, इसके बावजूद आप रमजान के दौरान उपवास रखना चाहते हैं। तो उससे पहले डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है ताकि रोजे के दौरान आप सभी एहतियाती कदम उठा सकें।”
मधुमेह ऐसी स्थिति है जब इंसुलिन हार्मोन की कमी के कारण रक्त में शर्करा की अधिकता हो जाती है या शरीर के कोशिकाओं की रक्त में शर्करा के संचय के प्रतिरोध की क्षमता घट जाती है।रमजान के दौरान उपवास से डिहाइड्रेशन से लेकर रक्त में शर्करा के स्तर में तेज उतार-चढ़ाव हो सकता है। फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के वरिष्ठ सलाहकार (एंडोक्राइनोलॉजी विभाग) राकेश कुमार प्रसाद का कहना है, “लंबे समय तक उपवास और बेहद कम अंतराल पर 2 से 3 बार खाना खाने से शर्करा के स्तर में बेहद तेज उतार-चढ़ाव हो सकता है।”मधुमेह रोगी अगर उपवास करते हैं तो उन्हें हाइपोग्लाइसेमिया (रक्त में शर्करा के स्तर में तेज कमी) हो सकता है, जिससे वे बेहोश हो सकते हैं और नजर का धुंधलापन, सिरदर्द, थकान और तेज प्यास लगने जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
टाइप 1 मधुमेह के शिकार जिन्हें पहले भी हाइपोग्लाइसेमिया रहा है, उन्हें उपवास के दौरान खतरा और भी बढ़ जाता है। मुंबई के वॉकहार्ड अस्पताल वॉकहार्ड की सलाहकार (एंडोक्राइनोलॉजिस्ट) शेहला शेख कहती हैं, “मरीजों को लगातार थोड़े-थोड़े अंतराल पर अपने रक्त में शर्करा के स्तर की जांच करनी चाहिए। अगर कोई मरीज इंसुलिन ले रहा है तो उसे उपवास के दौरान इसकी मात्रा में बदलाव की जरुरत पड़ सकती है।”डॉक्टरों ने बताया कि उपवास करने से मधुमेह रोगी की हालत इतनी खराब हो सकती है कि उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। उसे केटोएसिडोसिस हो सकता है, जिसमें शरीर रक्त अम्लों (कीटोन) का अत्यधिक उत्पादन करने लगता है, जिसके कारण उल्टी, डिहाईड्रेशन, गहरी सांस में परेशानी, मतिभ्रम और यहां तक कोमा में जाने जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। इसके अलावा उनमें थ्रोमबोसिस विकसित हो सकता है जिसके कारण खून जम सकता है।
डॉ. ए. रामचंद्रन्स डाइबिटीज अस्पताल चेन्नई के डॉ. ए. रामचंद्रन बताते हैं, “डॉक्टरों और मरीजों को मिलकर दवाईयां और आहार को व्यवस्थि करना चाहिए, ताकि रमजान के दौरान 30 दिनों तक मधुमेह का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके।”आदर्श रूप में किसी मधुमेह मरीज को रमजान से एक महीने पहले से ही किसी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और खानपान, इंसुलिन की मात्रा और अन्य दवाइयों को लेकर दी गई उसकी सलाह का पालन करना चाहिए। मधुमेह के मरीजों के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे उच्च कार्बोहाइड्रेट खाने पर काबू रखें, क्योंकि यह उनके रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकता है। यह टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित मरीजों के लिए बेहद जरुरी है।
रोजा के दौरान चीनी, रॉक चीनी, पॉम चीनी, शहद और कंडेंस्ड मिल्क को सीमित मात्रा में लेनी चाहिए। हालांकि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले कार्बोहाइड्रेट पदार्थो जैसे ब्राउन चावल, अनाज से बने ब्रेड, सब्जियां आदि ली जा सकती हैं, जबकि व्हाइट चावल, व्हाइट ब्रेड या आलुओं के सेवन से बचना चाहिए।
रमजान के दौरान जब दिन भर लंबा उपवास तोड़ते हैं तो शरीर को पानी की बेहद जरूरत होती है, इसलिए इस दौरान शुगर फ्री और कैफीन फ्री पेय पदार्थ ही लेना चाहिए। जानी मानी डायटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट रितिका समादार ने बताया, “मधुमेह मरीजों के लिए यह जरूरी है कि वे प्राकृतिक शर्करा ही प्रयोग करें जैसे जूस की बजाए फल का सेवन करें।”शहरी के दौरान कम मात्रा में खाना खाएं। मिठाइयां, तले हुए स्नैक्स, ज्यादा नमक या ज्यादा चीनी वाले पदार्थो के सेवन से बचें। इसके अलावा भोजन के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए और कम से कम दो घंटे का अंतराल जरूर रखें।
रामचंद्रन बताते हैं, “यह बेहद महत्वपूर्ण है कि संतुलित भोजन ग्रहण किया जाए, जिसका 20 से 30 फीसदी हिस्सा प्रोटीन हो। इसमें फल, सब्जियां और सलाद को शामिल जरूर करें और खाना बेक या ग्रिल करके पकाएं।”शहरी में ज्यादा प्रोटीन और कम कार्बोहाइड्रेट खाएं जिसमें ढेर सारे फल, अनाज से बने ब्रेड, होल ग्रेन लो शुगर सेरेल्स, बीन और दालें शामिल हों। समादार का कहना है, “अहले सुबह लिए जाने वाले भोजन में प्रोटीन शामिल करें जैसे अंडे या दाल इत्यादि जो ऊर्जा को धीरे-धीरे दिन भर ऊर्जा का निस्तारन करती है। दिन भर ऊर्जा पाने के लिए एक संपुर्ण भोजन जरुरी है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और स्वास्थ्यकारी वसा का होनी चाहिए।”अहलुवालिया बताते हैं, “मधुमेह के मरीजों के लिए उपवास का फैसला इसमें दिए गए छूट के धार्मिक दिशानिर्देशों और सावधानीपूर्वक डॉक्टरी सलाह को ध्यान में रखकर करना चाहिए।”
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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.
एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.
डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।
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