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उत्तराखंड

चारधाम के बेहतर प्रबंधन के लिए सभी को सहयोग करना चाहिएः त्रिवेंद्र सिंह रावत

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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि चारधाम के बेहतर प्रबन्धन के लिए सभी को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चारों धामों के बेहतर प्रबन्धन के लिए ही चारधाम विकास परिषद का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि इन धामों में हक हकूक धारियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

चारों धामों में मिलने वाली सुविधाएं की जाएंगी और भी ज़्यादा बेहतर

चारधाम विकास परिषद के सदस्यों से सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम के प्रति देश विदेश के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है।

यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देना हमारा दायित्व है। इसलिए इससे जुड़े सभी लोगों को अपनी जिम्मेदारी भी समझनी होगी और यात्रा के बेहतर प्रबंधन के लिए कार्य करना होगा।

उन्होंने कहा कि चारधाम विकास परिषद के अध्यक्ष को भी सदस्यों द्वारा पूरा सहयोग दिया जाना चाहिए ताकि वे व्यवस्थाएं और बेहतर बना सकें।

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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