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उत्तराखंड

पर्यटन के लिए टिहरी बनेगा बहुत बड़ा गंतव्यः त्रिवेंद्र सिंह रावत

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देहरादून। स्वामी विवेकानंद की 157 वीं जयंती के मौके पर ओएनजीसी ऑडिटॉरियम में उत्तराखण्ड यंग लीडर्स कान्क्लेव का आयोजन किया गया।

नए पर्यटन स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान

पर्यटन के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पर्यटकों के साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए कि वे यहां से खुश होकर जाएं। पुराने हिल स्टेशन सेचुरेटेड हो चुके है। इसलिए नए टूरिज्म डेस्टीनेशन विकसित किए जा रहे हैं। टिहरी झील के लिए 1400 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। आने वाले समय में टिहरी पर्यटन का बहुत बड़ा गंतव्य बनने जा रहा है। पिथौरागढ़ में देश का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन बनाने की परिकल्पना पर काम किया जा रहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि यंग लीडर कान्क्लेव में युवाओं के बीच जो मंथन हुआ और निष्कर्ष निकला, उस पर राज्य सरकार गम्भीरता से विचार करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत प्रत्येक दो-तीन माह में युवाओं से संवाद जरूर करते हैं। हमारी युवा शक्ति को किसी भी कार्य के लिए आगे आना जरूरी है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस वर्ष 12 फरवरी से राज्य में उच्च शिक्षा में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले 05 प्रोफेसरों को डॉ. भक्त दर्शन पुरस्कार दिया जाएगा। इसके तहत 50 हजार रुपए की पुरस्कार राशि दी जाएगी। ऐसे प्रोफेसरों को एक नियुक्ति उनके मन पंसद के महाविद्यालयों में दी जाएगी।

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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