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प्रादेशिक

यूपी: ‘आत्मनिर्भर गांव’ के लक्ष्य के साथ बन रही विकास की कार्ययोजना

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लखनऊ, 27 मार्च: 70 फीसदी ग्रामीण आबादी वाले उत्तर प्रदेश के लिए आने वाले पांच साल बेहद खास होने जा रहे हैं। हर मजरे तक बिजली की रोशनी और गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछाने के लिए सराहे जा रहे योगी सरकार के पहले कार्यकाल के बाद अब योगी 2.0 सरकार में गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को लेकर काम होना है। योगी 2.0 सरकार में पंचायतों को और सशक्त बनाने के साथ-साथ गांवों में आधारभूत सुविधाओं के विकास और रोज़गार सृजन की संभावनाओं को जमीन पर उतारने को लेकर ठोस कार्ययोजना तैयार हो रही है।

शपथ ग्रहण के बाद उच्चाधिकारियों के साथ अगले 05 साल के विजन और मिशन पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गांव और गरीब की उन्नति पर खासा फोकस रखा। पहली ही बैठक में सीएम ने साप्ताहिक ‘गांव दिवस’ अयोजन के निर्देश दिए। गांव, ग्रामीण, किसानों की शिकायतों और समस्याओं के समाधान में देरी न हो, इसके लिए मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं। पहले कार्यकाल में 10000 महिला पुलिस कर्मियों को बीट पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी देते हुए गांवों में तैनात करने की अभिनव पहल के अच्छे परिणाम देखने को मिले। योगी सरकार इस बीट पुलिसिंग को और व्यवस्थित व प्रभावी बनाने जा रही है। गांव दिवस आयोजन में न केवल राजस्व, पंचायती राज और ग्राम्य विकास के अधिकारी मौजूद रहेंगे, पुलिस बीट अधिकारियों की भी उपस्थिति रहेगी।

बीते 05 वर्षों में प्रदेश के गांवों में एक बड़े सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला। जिसे लेकर योगी सरकार की सराहना भी हुई। गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत हुए इस कार्य के माध्यम से लाखों प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिल पाया। तो, उत्तर प्रदेश में सामुदायिक शौचालयों के रखरखाव हेतु स्वयं सहायता समूहों को प्रेरित कर कर वित्तीय सहायता भी दी गई। इससे स्वच्छ ग्राम की दिशा में तो हम आगे बढ़े ही, ही हर गावं में महिला स्वसहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को रोजगार भी मिला। आने वाले दिनों में इस काम में और तेजी आनी तय है। गांव में बैंक के कार्य हो सकें इसके लिए बैंक सखी की नियुक्ति भी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के विकास को लेकर महिलाओं में काफी जागरुकता है और उत्तरप्रदेश में 43 फीसदी महिलाएं, ग्राम प्रधान हैं। बीते 05 वर्षों में हर ग्राम पंचायत को सचिवालय भवन की सौगात देने के साथ-साथ यहां पंचायत सहायकों की तैनाती की गई है। पंचायत भवन बनने के साथ उन्हें ऑप्टिकल फाइबर से भी जोड़ा जा रहा है। डिजिटल तकनीक से लैस यह सचिवालय भवन शासन की तमाम योजनाओं से जुड़ने में ग्रामीण जनता के लिए उपयोगी होंगे।

भाजपा ने अपने लोककल्याण संकल्प पत्र-2022 में भी गावों के विकास के प्रति प्रतिबद्धता जतायी है। संकल्प के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश के गांव विकास के लिहाज से शहरों की बराबरी करेंगे। गांवों के विकास के लिए बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नत योजना से गांवों का समग्र विकास किया जाएगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हर गांव को मुख्य सड़क से जोड़ा जाएगा। गांवों में पक्के ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था बनाकर जल निकासी की समस्या को दूर किया जाएगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत में बस स्टाप निर्माण और हर ग्राम पंचायत में शत-प्रतिशत इंटरनेट कनेक्टिविटी का वादा किया गया है, जिसे लेकर विभाग स्तर पर काम शुरू हो गया है। यही नहीं, पिछड़ा और अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों के जन्म के साथ जाति प्रमाण पत्र जारी होगा। संकल्प पत्र के अनुसार निषादराज बोट सब्सिडी योजना शुरू करने पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है, जिसके तहत एक लाख रुपये तक की नाव 40 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जाएगी।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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