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प्रादेशिक

यूपीः अखिलेश यादव ने लगाया पोस्टल वोटिंग में धांधली का आरोप

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नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगरा के फतेहाबाद निर्वाचन क्षेत्र के एक विकलांग व्यक्ति सुरेंद्र सिंह द्वारा सपा को वोट देने की बात कहने के बाद उससे जबरदस्ती दूसरी पार्टी को वोट डलवाने को लेकर चुनाव आयोग (ईसी) से कार्रवाई की मांग की है। वह सपा को वोट देना चाहते थे, लेकिन दो दिन पहले पोस्टल वोटिंग के दौरान उन्हें ऐसा नहीं करने दिया गया।

सुरेंद्र ने दावा किया कि रविवार को सेक्टर मजिस्ट्रेट ने भाजपा को वोट डलवाया। अन्य ग्रामीणों के साथ मतदाता का मतदान दल के साथ बहस करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। वीडियो में जेपी पांडे, एसडीएम फतेहाबाद, कहते सुनाई दे रहे हैं कि एक वोट से कोई फर्क नहीं पड़ता।

अखिलेश ने ट्विटर पर वीडियो साझा करते हुए सपा-रालोद गठबंधन समर्थकों और कार्यकर्ताओं को मतदान के दौरान सतर्क रहने को कहा। जिला प्रशासन ने आरोप का खंडन किया है। इस घटना को धांधली का मामला बताते हुए, अखिलेश ने एक ट्वीट में कहा कि यह एक गंभीर मामला है और कहा, चुनाव आयोग से यह उम्मीद की जाती है कि ऐसे अधिकारियों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया जाना चाहिए।

कथित जबरन मतदान को लेकर जगराजपुर गांव में लोगों के एक समूह के विरोध के बाद पुलिस और स्थानीय अधिकारियों को बुलाया गया था। इस बीच, पत्रकारों से बात करते हुए, सुरेंद्र ने कहा, हमें स्थानीय अधिकारियों द्वारा मीडिया से बात न करने की धमकी दी जा रही है। मेरा परिवार डरा हुआ है।

जबरन मतदान के आरोपों को राजनीति से प्रेरित और निराधार बताते हुए, आगरा के जिला मजिस्ट्रेट प्रभु नारायण सिंह ने कहा, सुरेंद्र सिंह ने खुद को वोट दिया था। हमारे पास एक वीडियो रिकॉडिर्ंग है जिसमें वह मतदान कर्मियों से अपने घर के अंदर मतदान करने के लिए मताधिकार का प्रयोग करने के लिए डाक मतपत्र ले जाते हैं। चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त माइक्रो-ऑब्जर्वर भी मौके पर मौजूद थे। एक रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेज दी गई है।

राज्य विधानसभा चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया रविवार को आगरा में विकलांग व्यक्तियों और 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए शुरू हुई। पहली बार, चुनाव आयोग ने दो श्रेणियों के लोगों को डाक मतपत्रों का उपयोग करके मतदान करने की अनुमति दी है। उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान गुरुवार से शुरू हो जाएगा। परिणाम 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।

 

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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