ऑफ़बीट
ब्यूटी ब्लेंडर का इस तरह करें इस्तेमाल, ना करें ये गलतियां
फ्लॉलेस मेकअप के लिए इन दिनों ब्यूटी ब्लेंडर स्पंज का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। मेकअप ब्रश की तुलना में ब्यूटी ब्लेंडर अधिक कंफर्टेबल और मेकअप करने में आसान भी होता है जिस वजह से ज्यादातर ब्यूटी एक्सपर्ट भी ब्यूटी ब्लेंडर का ही यूज़ करते हैं। अगर आप फ्लॉलेस चाहते हैं तो इसके लिए ब्यूटी ब्लेंडर का इस्तेमाल आप कर सकते हैं। चेहरे पर फाउंडेशन सेट करने के लिए भी ब्यूटी ब्लेंडर स्पंज काफी अच्छा माना जाता है।
ब्यूटी ब्लेंडर स्पंज का इस्तेमाल करने से मेकअप बेहतर तरीके स्किन में सेटल होता है लेकिन बेहतर मेकअप रिजल्ट के लिए यह भी जरूरी है कि आप सही तरीके से इसका यूज़ और इसका रखरखाव करें। तो आइए जानते हैं कि ब्यूटी ब्लेंडर स्पंज यूज करने का सही तरीका क्या है और इसके फायदे क्या क्या हो सकते हैं।
फ्लॉलेस मेकअप के लिए ब्यूटी स्पंज का इस तरह करें इस्तेमाल
मेकअप करते समय कभी भी स्किन और स्पंज पर फाउंडेशन डायरेक्ट न डालें। फाउंडेशन और कंसीलर को सबसे पहले हथेली पर रखें। इसके बाद स्पंज की मदद से चेहरे पर फाउंडेशन और कंसीलर लगाएं। इससे फाउंडेशन और कंसीलर अच्छे से ब्लेंड हो जाएगा और चेहरा फ्लॉलेस बनेगा।
अंडाकार ब्यूटी ब्लेंडर का इस तरह करें प्रयोग
मेकअप सेट करने के लिए अगर आप अंडे के आकार का ब्यूटी स्पंज प्रयोग करेंगे तो इससे आपको काफी सहूलियत मिलेगी। अंडे के शेप का ब्लेंडर का इस्तेमाल करने से मेकअप अच्छे से सेट होता है। स्पंज के नुकीले हिस्से की मदद से आंखों के नीचे, लिप्स के पास और नाक के साइड में मेकअप ब्लेंड करें। स्पंज के गोल हिस्से से माथे और गाल पर मेकअप ब्लेंड करें।
रगड़कर मेकअप न करें
मेकअप करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मेकअप कभी भी रगड़कर नहीं करना चाहिए। स्पंज से हमेशा मेकअप थपथपाते हुए करना चाहिए। थपथपाते हुए मेकअप अप्लाई करने से स्मूद बेस बनता है। साथ ही मेकअप स्किन में अच्छे से अब्जॉर्ब हो जाता है जिससे पसीना आने के बाद भी मेकअप खराब नहीं होता। स्पंज से मेकअप लगाने से मेकअप चेहरे पर काफी देर तक टिका रहता है।
हल्के गीले स्पंज का करें इस्तेमाल
मेकअप के दौरान स्पंज को ज्यादा गीला नहीं करना चाहिए। ज्यादा गीला स्पंज करने से मेकअप अच्छे से सेट नहीं होता। फ्लॉलेस मेकअप लुक के लिए स्पंज को गीला कर सारा पानी निचोड़ लें। इसके बाद स्पंज से चेहरे पर मेकअप करें. वहीं ड्राई स्पंज का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ड्राई स्पंज का इस्तेमाल करने से मेकअप अच्छे से ब्लेंड नहीं होता।
मेकअप करने के बाद इसकी सफाई जरूरी
मेकअप के बाद ब्यूटी ब्लेडर स्पंज को साफ करना बहुत जरूरी है। गंदे स्पंज का इस्तेमाल करने से स्किन एलर्जी हो सकती है और पिंपल्स-एक्ने भी हो सकते हैं। इसलिए मेकअप करने के बाद गुनगुने पानी में आप शैंपू डालकर स्पंज को साफ कर सकते हैं।
आध्यात्म
क्यों बनता है गोवर्धन पूजा में अन्नकूट, जानें इसका महत्व
गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है। इस दिन का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। गोवर्धन का त्योहार श्री कृष्ण की लीला को दर्शाता है।
स दिन मंदिरों में अन्नकूट किया जाता है। अन्नकूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का आयोजन है, जिसमें पूरा परिवार एक जगह बनाई गई रसोई से भोजन करता है। इस दिन चावल, बाजरा, कढ़ी, साबुत मूंग सभी सब्जियां एक जगह मिलाकर बनाई जाती हैं। मंदिरों में भी अन्नकूट बनाकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। शाम में गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में हल जोतकर अनाज उगाता है। इस तरह गौ संपूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है।
गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की। वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है। इसी दिन बलि पूजा, गोवर्धन पूजा होती हैं। इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर, फूल माला, धूप, चंदन आदि से उनका पूजन किया जाता है। गायों को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारी जाती है।
यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई। उस समय लोग इंद्र भगवान की पूजा करते थे व छप्पन प्रकार के भोजन बनाकर तरह-तरह के पकवान व मिठाइयों का भोग लगाया जाता था।
महाराष्ट्र में यह दिन बलि प्रतिपदा या बलि पड़वा के रूप में मनाया जाता है। वामन जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है, उनकी राजा बलि पर विजय और बाद में बलि को पाताल लोक भेजने के कारण इस दिन उनका पुण्यस्मरण किया जाता है।
माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बलि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आते हैं। अधिकतर गोवर्धन पूजा का दिन गुजराती नववर्ष के दिन के साथ मिल जाता है जो कि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष के दौरान मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा उत्सव गुजराती नववर्ष के दिन के एक दिन पहले मनाया जा सकता है और यह प्रतिपदा तिथि के प्रारंभ होने के समय पर निर्भर करता है।
इस दिन प्रात: गाय के गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में गोवर्धन बनाया जाता है। अनेक स्थानों पर इसके मनुष्याकार बनाकर पुष्पों, लताओं आदि से सजाया जाता है। इनकी नाभि के स्थान पर एक कटोरी या मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट देते हैं। शाम को गोवर्धन की पूजा की जाती है।
पूजा में धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल, खील, बताशे आदि का प्रयोग किया जाता है। पूजा के बाद गोवर्धनजी की जय बोलते हुए उनकी सात परिक्रमाएं लगाई जाती हैं। परिक्रमा के समय एक व्यक्ति हाथ में जल का लोटा व अन्य जौ लेकर चलते हैं। जल के लोटे वाला व्यक्ति पानी की धारा गिराता हुआ तथा अन्य जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करते हैं।
अन्नकूट में चंद्र-दर्शन अशुभ माना जाता है। यदि प्रतिपदा में द्वितीया हो तो अन्नकूट अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन संध्या के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है। गोवर्धन गिरि भगवान के रूप में माने जाते हैं और इस दिन उनकी पूजा अपने घर में करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की वृद्धि होती है।
इस दिन दस्तकार और कल-कारखानों में कार्य करने वाले कारीगर भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी करते हैं। इस दिन सभी कल-कारखाने तो पूर्णत: बंद रहते ही हैं, घर पर कुटीर उद्योग चलाने वाले कारीगर भी काम नहीं करते। भगवान विश्वकर्मा और मशीनों एवं उपकरणों का दोपहर के समय पूजन किया जाता है।
गोवर्धन पूजा के संबंध में एक लोकगाथा प्रचलित है कि देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था। इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची। एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्रीकृष्ण ने मैया यशोदा से प्रश्न किया कि आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं।
कृष्ण की बातें सुनकर यशोदा मैया बोली, “हम देवराज इंद्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं।”
मैया के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण बोले “मैया, हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं?”
यशोदा ने कहा कि वह वर्षा करते हैं, जिससे अन्न की पैदावार होती है। उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण बोले, “हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इंद्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं, अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।”
श्रीकृष्ण की माया से सभी ने इंद्र के बदले गोवर्धन पर्वत की पूजा की। देवराज इंद्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछड़े समेत शरण लेने के लिए बुलाया।
इंद्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गई। इंद्र का मान-मर्दन करने के लिए श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।
इंद्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे, तब उन्हें अहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतांत्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इंद्र से कहा, “आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं।”
ब्रह्मा जी के मुंख से यह सुनकर इंद्र अत्यंत लज्जित हुए और श्रीकृष्ण से कहा, “प्रभु मैं आपको पहचान न सका, इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें।” इसके बाद देवराज ने श्रीकृष्ण की पूजा कर उन्हें भोग लगाया।”
सातवें दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा, अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो। तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
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