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मुख्य समाचार

उप्र विधानसभा चुनाव के लिए शरद-नीतीश सक्रिय

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जितेंद्र त्रिपाठी

लखनऊ। बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल-युनाइटेड (जदयू) महागठबंधन को मिली सफलता के बाद पार्टी अब उत्तर प्रदेश में धाक जमाने के लिए काफी उत्साहित है। मिशन-2017 पार्टी के राष्ट्रीय एजेंडे में है और अंदरखाने जबरदस्त तैयारी चल रही है।

खास बात यह कि उप्र चुनाव की तैयारियों में बतौर पार्टी प्रदेश नेतृत्व नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने काम भी शुरू कर दिया है। जदयू का दावा है कि उप्र के विधानसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि का पार्टी को पूरा लाभ मिलेगा।

मगर विडंबना यह है कि उप्र के सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव को बिहार चुनाव में अपना मुखिया बनाने और फिर उससे अलग होने के बाद जदयू यूपी में किस तरह सपा के ही सामने बतौर प्रतिद्वंदी खड़ा होगा।

इन सब चिंताओं से कोसों दूर जदयू ने चुनाव की अपनी तैयारियों के लिए अहम रणनीतियां बनाई हैं। पार्टी ने यह तय किया है कि वह यूपी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके ही जनता के सामने चुनावी मैदान में जाएगी।

इसके अलावा एक अहम बात यह भी है कि पार्टी ने मूल जनता दल के सदस्यांे को सक्रिय करना भी शुरू कर दिया है। पार्टी ने आइपीएन से अपने चुनावी मुद्दांे, गठबंधन की रणनीति समेत तमाम अहम बातें साझा की हैं।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश निरंजन भइया ने आईपीएन से विशेष बातचीत में कहा, “वर्ष-2017 के यूपी विधान सभा चुनाव जदयू मजबूती के साथ लड़ेगी। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने यूपी को समय देने का पूर्ण आश्वासन दिया है। हम चाहते हैं कि बिहार जीत के बाद उप्र प्रथम आगमन पर पहले नितीश जी का भव्य स्वागत करें।”

उन्होंने बताया कि नीतीश और शरद यादव ने कहा है कि पार्टी के लोगों को जागरूक और उन्हें सक्रिय किया जाए। उनका हौसला बढ़ाते हुए पार्टी नेतृत्व का संदेश सभी तक पहुंचाया जाए। गठबंधन के लिए पार्टी ने नीतीश और शरद को अधिकृत किया है।

उन्होंने बताया कि पार्टी यूपी चुनाव में कांग्रेस, रालोद और बसपा के साथ चुनावी गठबंधन करने के प्रयास में है।

क्या सपा से भी गठबंधन हो सकता है? इस सवाल पर भइया ने कहा कि जदयू कोई ऐसी पहल नहीं करेगा। यदि सपा गठबंधन का प्रस्ताव लाती है तो पार्टी उस पर विचार करेगी।

सुरेश निरंजन ने कहा, ‘नीतीश जी के उप्र आगमन से यहां हमारे पक्ष में माहौल बनना शुरू हो जाएगा। शरद जी ने यूपी विधानसभा चुनाव को अपने राष्ट्रीय एजेंडे में रखा है।”

जदयू प्रदेश अध्यक्ष संगठन की मजबूती के बारे में बताया, “प्रदेश के 65 जिलों में उनका संगठन का गठन हो गया है, लेकिन अभी सिर्फ 30 जिलों में ही सक्रिय है।”

उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड, पूर्वाचल और पश्चिमी क्षेत्र समेत पूरे सूबे में मूल जनता दल के लोग जदयू से जुड़े हैं। हम उनमें जोश भरेंगे और अपनी पुरानी स्थिति में लौटेंगे।”

चुनावी मुद्दों के बारे में भइया ने कहा, “प्रदेश में खनन के तहत नदियों, पहाड़ों समेत प्राकृतिक संसाधनों को जबरदस्त तरीके से लूटा जा रहा है। किसान वर्ष घोषित करने के बाद भी अखिलेश सरकार में किसानों को पानी, बिजली पर्याप्त उपलब्ध नहीं हो पा रही है। कानून-व्यवस्था का तो बहुत बुरा हाल है।

उन्होंने कहा कि जनता का भरोसा रखते हुए जनता का शासन होगा। लेखपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी जनता के प्रति गंभीर और जिम्मेदार होंगे। जदयू की प्राथमिकताओं में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य होगा। महिलाओं की सुरक्षा और उनकी भागेदारी बढ़ाई जाएगी। युवाओं को वरीयता दी जाएगी। जितने में काम चलेगा, उतनी बिजली मुहैया कराई जाएगी।

सुरेश निरंजन ने कहा, “जदयू मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। जदयू का मुख्यमंत्री उम्मीदवार पिछड़ी या दलित या मुस्लिम समुदाय से ही होगा।”

गौरतलब है कि पिछले महीने जदयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अहम रणनीति बनाई है।

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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग

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नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।

विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।

चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।

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