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उत्तराखंड

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को दी छठ पर्व की शुभकामनाएं

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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने छठ पूजा पर प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनाएं दी हैं। छठ पूजा के अवसर पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सूर्योपासना का यह पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने का संदेश देता है।

सूर्य की आराधना प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों की आराधना हैं। सूर्य इस विश्व के लिए जीवनदायी ऊर्जा का स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि लोक आस्था से जुड़ा यह महापर्व हमें सात्विकता और स्वच्छता का भी संदेश देता है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस पर्व पर सभी की सुख-समृद्वि की भी कामना की है। राज्य सरकार द्वारा छठ पूजा के अवसर पर 02 नवंबर को प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश की भी घोषणा की गई है।

 

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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