उत्तराखंड
खटीमा-मसूरी गोलीकांड के शहीदों की वजह से ही अलग राज्य बन सका उत्तराखंडः त्रिवेंद्र सिंह रावत
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने खटीमा एवं मसूरी गोली कांड के शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए उनका भावपूर्ण स्मरण किया है।
2 सितम्बर 1994 को हुए मसूरी गोलीकांड के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि। हमारे वीर-वीरांगनाओं के बलिदान का स्मरण रखते हुए हम उनके सपनों का उत्तराखंड बनाने को तत्पर हैं। गांव, गरीब किसान खेत खलिहान हमारी नीतियों के केंद्र में हैं।
2 सितम्बर 1994 को हुए मसूरी गोलीकांड के शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि। हमारे वीर-वीरांगनाओं के बलिदान का स्मरण रखते हुए हम उनके सपनों का उत्तराखंड बनाने को तत्पर हैं। गांव, गरीब किसान खेत खलिहान हमारी नीतियों के केंद्र में हैं। pic.twitter.com/icxfMffdJT
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) September 2, 2019
उन्होंने कहा कि शहीद आन्दोलनकारियों के बलिदान से ही आज उत्तराखण्ड को एक पृथक राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलकारियों के बलिदान को प्रदेश हमेशा याद रखेगा। राज्य सरकार शहीद आन्दोलनकारियों के सपनों के अनुरूप समृद्ध और प्रगतिशील उत्तराखंड बनाने के लिए संकल्पबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन दुनिया के अन्य आन्दोलनों से अलग रहा है। इस आन्दोलन में मातृशक्ति एवं सैनिक पृष्ठभूमि की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। राज्य के विकास को और अधिक गति प्रदान करने के लिये हमें पलायन को रोकने, रोजगार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ना होगा। इसके लिए प्रदेश सरकार संकल्पबद्ध है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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