उत्तराखंड
अरुण जेटली के निधन पर उत्तराखंड सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जताया शोक
नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति ओर शोक संतप्त परिजनों को सांत्वना प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है।
अपने शोक सन्देश में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जेटली को पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल व प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट का एक मजबूत स्तंभ बताते हुए कहा कि वे एक अनुभवी एवं कुशल राजनीतिज्ञ, उत्कृष्ट वक्ता, विधि विशेषज्ञ, योग्य प्रशासक एवं कुशल जन-नायक थे।
कुशल राजनेता, संगठनकर्ता और राजनीतिक अनुशासन के पर्याय अरुण जेटली जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि।
।।ॐ शांति।। pic.twitter.com/3cAhJgkSoa— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) August 24, 2019
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि भारत के वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने व देश में वन टैक्स सिस्टम लागू करने के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिए गए।
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में भी उनका बड़ा योगदान रहा है, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने अरूण जेटली के निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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