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उत्तराखंड

VIDEO : अब देहरादून से मसूरी 15 मिनट में पहुंचें, नहीं होगी ट्रैफिक जाम की समस्या

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उत्तराखंड सरकार ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फैसला किया है। अब दो साल के अंदर देहरादून से मसूरी तक का रोप-वे तैयार किया जाएगा। इस सुविधा की मदद से न सिर्फ पर्यटकों को फायदा मिलेगा बल्कि पहाड़ी गांवों में रहने वाले लोगों का आवागमन आसान हो जाएगा।

रोप-वे तैयार करने की योजना में पर्यटन विभाग, उत्तराखंड की तरफ से चार सौ करोड़ की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई है। रोप-वे सभी तरह की आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। यह रोप-वे करीब साढ़े पांच किलोमीटर लंबा होगा। इस सुविधा की मदद से देहरादून से मसूरी तक पहुंचने में सिर्फ 15 से 20 मिनट का वक्त लगेगा। मौजूदा समय में देहरादून से मसूरी के लाइब्रेरी चौक तक इस रोप-वे को तैयार किया जा रहा है। इस सुविधा में एक बार में उड़नखटोले पर 10 व्यक्ति तक बैठ सकेंगे।

एक बार में उड़नखटोले पर बैठ सकेंगे 10 यात्री। ( फोटो – प्रतीकात्मक)

इस सुविधा को जल्द से जल्द जनता के लिए सक्रिय करने के लिए पर्यटन विभाग, उत्तराखंड  ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की मदद से ग्रांट की मांग की है। इस योजना के लिए जमीन चिह्नीकरण का काम किया जा रहा है। मई तक निविदा प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।

हसीन वादियों के बीचोबीच देखें सुंदर नज़ारे, नहीं मिलेगा ट्रैफिक जाम

अभी तक देहरादून से मसूरी के रास्ते पर पर्यटकों को अक्सर जाम से जूझना पड़ता है। बर्फबारी के समय यह परेशानी बढ़ जाती है। ऐसे में इस रोप-वे के तैयार हो जाने के बाद जाम की परेशानियां कम हो जाएंगी। इस योजना में देहरादून से लेकर मसूरी तक सुपर सॉलिड टावर- पिलरों का निर्माण किया जाना है। इन पिलर के पास लोगों के लिए वाहन पार्किंग की सुविधा भी दी जाएगी।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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