प्रादेशिक
क्षेत्रीय दलों के लिए मील का पत्थर साबित होगा राष्ट्रपति शासन
जनता तलाश रही भाजपा व कांग्रेस का विकल्प
सुनील परमार
देहरादून। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन क्षे़त्रीय दलों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है। प्रदेश की जनता ने पिछले 15 साल में आठ सीएम को देख लिया है। ये सीएम भाजपा और कांग्रेस के रहे हैं। पब्लिक सब जानती है लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं है, इसलिए भाजपा और कांग्रेस को ही चुनती है। विधायकों की खरीद-फरोख्त ने जनता की उन भावनाओं को आहत किया है जो भावनाएं उनकी राज्य गठन के साथ जुड़ी हुई थीं। ऐसे समय में यदि क्षेत्रीय दल जनता के बीच जाते हैं तो निश्चित तौर पर छोटे दलों को लाभ मिल सकता है। राज्य गठन के बाद से भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से शासन करते रहे हैं। राज्य गठन के लिए लड़ाई उत्तराखंड क्रांति दल ने लड़ी, लेकिन यह विडम्बना रही कि उक्रांद के नेता राज्य गठन के बाद जनता के बीच जाने की बजाय भाजपा और कांग्रेस की गोदी में जा बैठे। उक्रांद पिछले 15 साल में कई बार टूटा। इसका जनता के बीच में नकारात्मक संदेश गया।
कुर्सी के लालच में उक्रांद टूटा, अब फिर है जुड़ने का मौका
पहली बार सरकार गठन के दौरान काशी सिंह ऐरी ने कांग्रेस सरकार में मंत्री पद हथिया लिया और जनता को हाशिये पर कर दिया तो दूसरी बार यही काम फील्ड मार्शल कहे जाने वाले दिवाकर भट्ट ने किया। भट्ट भी कुर्सी व सत्ता मद में चूर हो गये और भाजपा का दामन नहीं छोड़ पाए। और वही काम अब विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने किया। कुल मिलाकर उक्रांद के नेताओं का लालच ही पार्टी को डुबाने की वजह रहा। पार्टी यदि जनता के बीच गयी होती तो आज उक्रांद एक सशक्त दल होता। इसी तरह से उत्तराखंड रक्षा मोर्चा का हाल रहा । ले. जनरल टीपीएस रावत समेत राज्य के कई बड़े नेता, फौजी अफसर व अन्य प्रमुख लोग इसमें शामिल हुए। 2012 के चुनाव में रक्षा मोर्चा को जनता ने काफी मत दिये, जो कि उक्रांद से भी अधिक थे हालांकि इनको कोई विधायक नहीं बन सका, लेकिन टीपीएस रावत व उनके सलाहकारों ने राज्य के विकास व मुद्दों को हाशिये पर रखकर निजी स्वार्थ को महत्व दिया और इसका विलय कराने के बाद स्वयं कांग्रेस की गोदी में जा बैठे। कांग्रेस ने उन्हें एक रिटायर्ड फौजी की तर्ज पर एक कोने में जा बिठाया। एक पूर्व मंत्री होने के बावजूद आज के दिन उनकी कोई पूछ नहीं है। बेहतर होता कि वह रक्षा मोर्चा को जीवित रखते तो संभवत उनका कोई राजनीतिक वजूद होता।
छोटे-छोटे दल मिल जाएं तो विकल्प होगा आसान
इसी तरह से अन्य छोटे छोटे दल जैसे उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, प्रजामंडल आदि दल हैं। हालांकि इन दलों का कोई जनाधार नहीं है लेकिन नैनीसार मुद्दे पर प्रदेश की जनता ने उपपा को काफी समर्थन दिया और संभवत इसका लाभ भी उपपा को मिल रहा है। दर्जन भर नेताओं की जमात में अब कार्यकर्ता भी नजर आने लगे हैं। आम आदमी पार्टी भी अब तक प्रदेश में अपना संगठन नहीं बना सकी है। पार्टी पहचान के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे समय में आम आदमी पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, हाल में गठित स्वराज मोर्चा, प्रजामंडल आदि दल यदि सामूहिक रूप से एकजुट हो जाते हैं, हालांकि इसके लिए उन्हें अपने निजी स्वार्थ व अहम त्यागना होगा तो ये दल भाजपा और कांग्रे्रस का विकल्प बन सकते हैं। जनता भाजपा और कांग्रेस की घृणित राजनीति से आजिज आ चुकी है और जरूरत इस बात की है कि जनता के बीच नये दल मुद्दों को लेकर जाएं तो इसके सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं। कुल मिलाकर राष्ट्रपति शासन उत्तराखंड में क्षे़त्रीय दलों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है बशर्ते क्षे़त्रीय दलों में टकराव न हो।
IANS News
लखनऊ की ठग महिला, अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल दिखाकर ठगे करोड़ रुपये
लखनऊ | उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में महिलाओं से करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि एक महिला जो अपने आप को IAS अधिकारी की पत्नी बनाकर महिलाओं को किटी पार्टी करती थी। जिसके बाद धीरे-धीरे उन महिलाओं से उसने करीब डेढ़ करोड़ की ठगी कर ली। इस मामले में इस ठगी करने वाली महिला पर एफआईआर दर्ज करते हुए पुलिस ने जांच शुरू कर दिया है।
बताया जा रहा है कि रश्मि सिंह ने किटी पार्टी के जरिए बिजनेसमैन की पत्नियों और अन्य महिलाओं को अपना शिकार बनाया. पीड़ित महिलाओं के मुताबिक, वह पहले उनसे दोस्ती करती, उन्हें अपने घर बुलाती और छोटे-मोटे गिफ्ट देकर विश्वास हासिल करती. इसके बाद वह म्युचुअल फंड और किटी पार्टी में निवेश करने पर बड़ा लाभ दिलाने का लालच देकर उनसे मोटी रकम ऐंठ लेती थी.
किस तरह के बहाना करती थी महिला
* मेरा पति मुझे मारता है, कुछ पैसे चाहिए
* मुझे बच्चों की फीस भरनी है, कुछ पैसे चाहिए
* म्यूच्यूअल फंड से फायदा करवा दूंगी, पैसे दे दो
किस सहेली से कितने पैसे ठगे 👇
* नेहा गाडरू से 13 लाख
* अनामिका राय से 25 लाख
* प्रिया जायसवाल से 38 लाख
* हरजीत कौर से 27 लाख
* लवदीप कौर से 30 लाख
* प्रीति कालरा से 1 लाख
* कोपल श्रीवास्तव से 15 लाख
* पिंकी से 5 लाख
* सारिका जायसवाल से 5 लाख
* हरप्रीत से 1.5 लाख रुपये
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