उत्तराखंड
पीडीएफ सांसद को राज्यसभा भेजने की तैयारी
देहरादून। उत्तराखण्ड से राज्यसभा पहुंचने के बाद प्रदेश से मुंह मोड़े बैठे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राज बब्बर अब पीडीएफ के निशाने पर हैं। पीडीएफ संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी ने यह कह कर अपनी मंशा जता दी कि राज्यसभा सांसद अब पीडीएफ कोटे से होना चाहिए। उन्होंने बब्बर पर खुला हमला करते हुए कहा कि राज्यसभा जाने के बाद सांसद महोदय ने एक भी विधायक को फोन कॉल कर राज्य को लेकर कुछ भी जानने को कोशिश तक नहीं की। पीडीएफ संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी सांसद राज बब्बर से खफा दिखे। यही वजह है कि उन्होंने ये भी कहा कि उत्तराखण्ड जब वनाग्नि से धधक रहा था तो ये मसला राज्यसभा में पुरजोर तरीके से उठा तक नहीं है। साफ है कि नैथानी ने अपने बयानों के जरिए ये इशारा भी साफ कर दिया है कि अबकी बार उत्तराखण्ड का ही कोई चेहरा राज्यसभा जाना चाहिए।
राज्यसभा सीट को लेकर मुखर हो रहे पीडीएफ संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी के इस सीट को लेकर बयानों के पीछे की सियासत आखिर क्या है। क्या इन बयानों के पीछे जुबां नैथानी की और शब्द किसी और के हैं। आखिर ऐसा कौन सा चेहरा है जिसे पीडीएफ राज्यसभा भेजने की वकालत करती नजर आ रही है। दरअसल सरकार की बैसाखी बनी पीडीएफ का उत्तराखण्ड के हालिया सियासी घनटाक्रम में अहम रोल रहा है। सतपाल महाराज की गुजारिश के बावजूद भी पीडीएफ कांग्रेस के साथ से टस से मस न हुई। जोड़ ऐसा दिखा कि अच्छे से अच्छा न तोड़ पाए। अब पीडीएफ भी अपनी अहमियत को जानती है। लिहाजा अब वह पूरा दबाव बनाने की कोशिश में है। कांग्रेस आलाकमान भी इस वक्त पीडीएफ की अहमियत को जानता है।
ऐसे में जब तेजी से किशोर उपाध्याय का नाम राज्यसभा की दावेदारी में आगे आ रहा है उस वक्त पीडीएफ का ये बयान कहीं किशोर की राह रोकने के लिए ही तो नहीं है। दरअसल जैसे कि कांग्रेस पीडीएफ की बैसाखी के बिना अपने बूते खड़े होने में सक्षम हो गई तो तेजी से ये बात भी छिड़ने लगी कि अब पीडीएफ को भी अपनी भूमिका साफ कर लेनी चाहिए। इसमें सबसे आगे रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय। जब एक तरफ मुख्यमंत्री हरीश रावत मुसीबत के वक्त साथ देने वाले पीडीएफ को किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाहते थे, तब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पीडीएफ से अपनी भूमिका साफ करने के लिए कह रहे थे। अनुभव का उपयोग कर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पीडीएफ को साथ ही रखा जिसका फायदा उन्हें मिला। अब ऐसे वक्त में जब राज्यसभा के लिए कांग्रेस के पास एक अनार सौ बीमार जैसे हालात हैं, उस दौरान पीडीएफ का ये हथियार किशोर की राह में सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है, जिसे हटाया नहीं जा सकता।
उत्तराखंड
चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद
हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।
50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध
उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।
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