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उत्तराखंड

उत्तराखंड: अगली सुनवाई 6 मई को

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उत्‍तराखण्‍ड मामला, सर्वोच्‍च न्यायालय, उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण, छह मई तक का समय, फ्लोर टेस्ट

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उत्‍तराखण्‍ड मामला, सर्वोच्‍च न्यायालय, उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण, छह मई तक का समय, फ्लोर टेस्ट

supreme court

देहरादून। सुप्रीम कोर्ट से आज बड़े फैसले की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर विचार करने के लिए कुछ समय की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि 48 घंटे में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, केंद्र सरकार को थोड़ा समय और दे दिया है। अब इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी है। केद्र की तरफ से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा है। उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन पर अगली सुनवाई अब 6 मई को होगी। बुधवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही शुरू हुई, जिसमें केंद्र सरकार के वकील अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखने के लिए कुछ और समय की मांग की। उनकी बात मानते हुए दीपक मीश्रा की बेंच ने अगली सुनवाई के लिए 6 मई का दिन तय किया। अब केंद्र सरकार की ओर से शुक्रवार को बताया जाएगा कि वह फ्लोर टेस्ट के पक्ष में है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह पूछा था कि क्या अदालत की देखरेख में उत्तराखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट संभव है? शीर्ष अदालत ने सरकार को इस पर विचार करने के लिए कहा। उत्तराखंड में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है और सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की उस याचिका पर विस्तृत सुनवाई के लिए तैयार हो गया है, जिसमें नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से राष्ट्रपति शासन हटाने के फैसले को चुनौती दी गई है। मंगलवार को न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को इस संबंध में केंद्र सरकार का निर्देश लाने के लिए कहा था। पीठ ने केंद्र सरकार को वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामेश्वर प्रसाद मामले में दिए गए फैसले के आलोक में अपना पक्ष रखने के लिए कहा है। उस मामले में फ्लोर टेस्ट को आखिरी हल बताया गया था।

इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा, क्या स्टिंग के आधार पर राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है? वहीं मुकुल रोहतगी ने बताया कि वित्त विधेयक कभी पास ही नहीं हुआ है। 18 मार्च को सरकार ही गिर गई थी।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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