उत्तराखंड
अल्मोड़ा: महिला ने फंदे से लटक कर लगाई फांसी, ससुराल वालों की प्रताड़ना से थी परेशान!
अल्मोड़ा में एक बहुत ही दुखद घटना सामने आई हैं, जहां एक 26 वर्षीय महिला की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। जानकारी के अनुसार महिला ने घर में फांसी लगा कर आपनी जान दी है। वह पिछले कुछ समय से अपने ससुराल वालों की प्रताड़ना के चलते डिप्रेशन में थी।
बीते शनिवार को नगर के खत्याड़ी मोहल्ला निवासी तनुजा देवी (26 वर्ष) पत्नी सुमित फल्र्याल ने अपने ही घर में फांसी का फंदा बनाकर लोहे के एंगल (पर्दा टांगने वाला रोड़) के लटक कर जान दे दी। बता दें कि तनुजा का मायका द्वाराहाट के बग्वाली पोखर में है।
मृतका तनुजा देवी के पिता आनंद सिंह बिष्ट से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनकी बेटी जिस लोहे के एंगल पर लटकी थी उस पर फांसी लगाना असंभव है। ऐसे में उनकी बेटी को मारा गया है।
मृतका के घरवालों ने ये जानकारी दी है कि उनकी बेटी को उसका पति हर दिन प्रताड़ित करता था। आए दिन वो उसके पहनावे व घर के काम करने के ढ़ंग पर उलटे सीधे शब्द कहता था, जिससे तनुजा पिछले 5-6 महीनों से परेशान थी।
तुनजा का विवाह 22 मई 2011 को खत्याड़ी निवासी सुमित फत्र्याल से हुआ था। अभी कुछ दिनों पहले 15 नवंबर को उसने एक बच्चे को जन्म भी दिया था, जिसका नामकरण भी आज होना था। बता दें कि मृतका का पति सुमित अल्मोड़ा डाकघर में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत हैं। मृतका के दो बच्चे हैं।
तनुजा के परिवार वालों ने ये कहा है कि हमारे कई बार फोन करने पर बेटी के ससुराल वाले बात करने में तरह-तरह के बहाने कर रहे थे और फिर अचानक उन्होंने फोन पर बताया कि शमशान घाट आ जाओ। उनकी बातों को सुन कर हम लोगों ने पुलिस को फोन किया और बॉडी को रुकवाने को कहा।
इस मामले को लेकर पुलिस के उप निरीक्षक नीरज सिंह भाकुनी ने बताया कि मृतका के पिता की शिकायत के बाद पूरे मामले की जांच की जा रही है। फिलहाल पुलिस शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दी है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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