उत्तराखंड
विश्व योग दिवस पर उत्तराखंड हुआ योगमय
देहरादून। ‘करो योग, रहो निरोग’ संदेश के साथ विश्व योग दिवस पर देवभूमि उत्तराखंड भी योगमय नजर आयी। देहरादून सहित प्रदेशभर में सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित किए गये। केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत यहां भारत स्वाभिमान न्यास के रेंजर्स मैदान में आयोजित समारोह में शामिल हुए।
इस दौरान गहलौत ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। पूरा विश्व आज भारत की दिखाई राह पर आगे बढ़ रहा है। योग के रास्ते ही विश्व में शांति आएगी। उधर प्रदेश के अन्य जिलों में भी योग दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। शिक्षक, छात्र, वृद्ध से लेकर बच्चे भी योग को लेकर खासे उत्साहित रहे।
वहीं रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में आज सुबह से ही कईं स्थानों पर विश्व योग दिवस मनाया गया। जिसमें रुद्रप्रयाग की जनता ने तो भाग लिया ही साथ ही सेना के जवानों ने भी योग किया। पतंजलि योग पीठ द्वारा आयोजित इस योग कार्यक्रम में जनता बढ़-चढ़कर भाग लिया।
इस कार्यक्रम में जहां आम जन, अधिकारी, शिक्षक, डॉक्टरों ने भी भाग लिया, वहीं डॉक्टर आनन्द बोरा ने कहा की वो खुद सर्जन हैं पर योग के लिए सभी को प्रेरित करेंगें। उन्होंने बाबा रामदेव और केंद्र सरकार का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि योग का महत्व सदियों से है, पर आज हमारा देश पूरी दुनिया में शिक्षक के रूप में उभरा है। आज लगभग 176 देशों में योग दिवस मनाया जा रहा है।
वहीं सिक्स कुमाऊं रेजिमेंट के जवानों ने भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। जवानों ने योग दिवस में योग कर यह सन्देश पहुंचाया है कि योग से कईं बीमारियों का अंत होता है। स्वस्थ रहने के लिए योग अहम है। हमेशा योग करना चाहिए। योग पीठ हरिद्वार से आये योग गुरु से आज आर्मी के जवानों ने योग के गुर सीखे।
इसके अलावा राजभवन परिसर में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया। पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में योग प्रशिक्षकों ने योगाभ्यास कराया। शांतिकुंज हरिद्वार, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में भी इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित हुए। सुबह से ही जगह-जगह आयोजित योग शिविरों में लोगों ने योगाभ्यास कर स्वास्थ्य लाभ अर्जित किया।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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