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प्रादेशिक

योगी सरकार ने रातों रात बदल दिया इस शहर का नाम, अब इस नए नाम से जानी जाएगी

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संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदल दिया गया है। काफी समय से इसकी मांग उठाई जा रही थी। अब योगी सरकार ने हिन्दू संगठनों की भावनाओं को देखते हुए इलाहाबाद का नाम बदल दिया है। नए नाम के लिए योगी सरकार ने औपचारिक मंजूरी दे दी है और जल्द ही इससे जुड़ा शासनादेश आ जायेगा। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग उठ रही थी।

योगी सरकार ने इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से औपचारिक मंजूरी दे दी है और जल्द ही इसका आधिकारिक शासनादेश भी जारी हो जाएगा। 2019 में लगने वाले कुंभ से पहले प्रयागराज नाम पूरी तरह अस्तित्व में होगा और हर सरकारी कामकाज में प्रयागराज ही यूज़ किया जाएगा।

जब योगी गोरखपुर के सांसद थे तब भी कहा गया कि उन्होंने कई बाजारों के नाम बदलवा कर हिंदू नाम करवा दिए थे। योगी इस पर तर्क देते रहे हैं कि हम पुराना गौरव बहाल कर रहे हैं। अब कुंभ से पहले इलाहाबाद का नाम प्रयाग राज करने के पीछे भी यही तर्क दिया है।

उत्तर प्रदेश में जिलों का नाम बदलने का काम पिछली सरकारें भी कर चुकी हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए 11 जिलों के नाम दलित विभूतियों के नाम पर रख दिए थे लेकिन बाद में आई सपा सरकार ने इनमें से आठ शहरों को उनके पुराने नाम वापस लौटा दिए थे।

 

उत्तर प्रदेश

महाकुंभ मेले में हीटर और ब्लोवर पर रहेगा प्रतिबंध

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प्रयागराज। आगामी महाकुंभ 2025 को सुरक्षित और अग्नि-मुक्त बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। मेले में आग की घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से कई प्रतिबंध और दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं और संस्थाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। पूर्व में हुई घटनाओं से सबक लेते हुए योगी सरकार ने इस बार कल्पवासियों के टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड जैसे अनधिकृत उपकरणों के उपयोग पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है। महाकुंभ 2025 में नियमों के सख्ती से पालन के साथ, सरकार का लक्ष्य एक सुरक्षित, व्यवस्थित और अग्नि-मुक्त आयोजन को सफल बनाना है।

विद्युत सुरक्षा को लेकर सख्ती

विद्युत विभाग ने मेले में बिजली के उपयोग को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि (यूपीपीसीएल) ने सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। अधीक्षण अभियंता महाकुंभ मनोज गुप्ता ने बताया कि महाकुंभ मेले में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड जैसे उपकरणों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह कदम आग की घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है। पूर्व में देखा गया है कि मेले के दौरान हुई आग की अधिकतर घटनाओं में शॉर्ट सर्किट बड़ी वजह रही है जो हीटर या ब्लोवर के कारण उत्पन्न हुई।

कटिया पर होगी कार्रवाई

अधिशाषी अभियंता अनूप सिन्हा ने बताया कि हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के साथ साथ मेले में कटिया लगाकर बिजली के उपयोग पर भी सख्त प्रतिबंध रहेगा। ऐसा करते पाए जाने पर संबंधित संस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अतिरिक्त, यदि किसी संस्था द्वारा विद्युत विभाग की वायरिंग में छेड़छाड़ की जाती है और उसके कारण कोई आगजनी की घटना होती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस संस्था की होगी। ऐसी संस्थाओं को भविष्य में प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।

सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य

संस्थाओं को निर्देश दिया गया है कि यदि वे स्वयं वायरिंग करते हैं, तो यह कार्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप होना चाहिए। वायरिंग के लिए एमसीबी और कंड्यूट पाइप का उपयोग अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, संस्था को अपनी वायरिंग के उपरांत विद्युत सुरक्षा से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) प्राप्त करना होगा। सरकार के इन कदमों का उद्देश्य महाकुंभ 2025 को पूरी तरह सुरक्षित और अग्नि-मुक्त बनाना है। इस बार का महाकुंभ एक ऐसा आयोजन होगा, जहां सुरक्षा मानकों का पूर्ण पालन किया जाएगा, ताकि लाखों श्रद्धालु बिना किसी भय के धार्मिक आयोजन में भाग ले सकें।

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