अन्तर्राष्ट्रीय
अमेरिका में अश्वेत समुदाय पर संकट
वाशिंगटन | देश की बागडोर अफ्रीकी मूल के अमेरिकी नागरिक द्वारा संभालने और अब्राहम लिंकन द्वारा दासों को मुक्त करने के लिए अभियान चलाने के 150 सालों बाद भी अमेरिका में अश्वेतों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। देश में नस्लीय भेदभाव समाप्त करने के लिए दो अभूतपूर्व विधेयकों के पेश होने के 50 साल बाद भी कुछ नहीं बदला है।
अमेरिका की कुल आबादी लगभग 32.0 करोड़ है, और इसमें से लगभग 14 प्रतिशत आबादी अश्वेतों की है। लेकिन देश की अर्थव्यवस्था में इनकी हिस्सेदारी बहुत कम है। यद्यपि देश के राष्ट्रपति पर अफ्रीकी मूल के पहले अमेरिकी बराक ओबामा पहुंचने में कामयाब हुए हैं, फिर भी मुट्ठी भर अश्वेत ही उच्च पदों पर पहुंच पाए हैं। इनमें से ज्यादातर कम शिक्षित हैं और कम वेतन वाली नौकरियां करते हैं। 2013 में 27.2 प्रतिशत की गरीबी दर के साथ ये लोग आमतौर पर गरीब परिवेश से हैं। जनगणना ब्यूरो के मुताबिक, 2013 में देश की वार्षिक औसत आय 51,939 डॉलर की तुलना में अश्वेत परिवारों की वार्षिक औसत आय 34,598 डॉलर थी, जो भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों की 100,547 डॉलर वार्षिक औसत आय की तुलना का लगभग एक-चौथाई है।
देश में मौजूद 83.7 प्रतिशत अश्वेतों में से सिर्फ 25 प्रतिशत के पास ही 2013 में हाई स्कूल डिप्लोमा था। इस समूह के सिर्फ 19.3 प्रतिशत के पास ही स्नातक डिग्री थी। बाल्टीमोर में एक अश्वेत युवक फ्रेडी ग्रे (25) की पुलिस हिरासत में मौत के बाद पिछले सप्ताह वहां दंगा और हिसा भड़क गई थी। इस शहर की आबादी 600,000 है, जिसमें से लगभग दो-तिहाई अश्वेत हैं। इस तरह के कम से कम 14 मामले हैं, जिनमें श्वेत पुलिसकर्मियों ने अश्वेतों पर गोली चलाकर उनकी हत्या कर दी। 25 फरवरी, 2012 में फ्लोरिडा के सैनफोर्ड शहर में 17 वर्षीय किशोर ट्रैवन मार्टिन की एक श्वेत पुलिसकर्मी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इन सभी मामलों में पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हालांकि, बाल्टीमोर घटना इससे अलग है। शहर के अभियोजक मर्लिन जे.मॉस्बी ने 12 अप्रैल को हुए इस हादसे में शामिल सभी छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपों की घोषणा की थी। खोजी पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट ‘प्रो पब्लिका’ द्वारा 2014 में किए गए विश्लेषण के मुताबिक, 2010 से 2012 के बीच हुई घातक पुलिस गोलाबारी की 1,217 घटनाओं से पता चला है कि अपने श्वेत समकक्षों की तुलना में अश्वेत युवकों को पुलिस द्वारा गोली मारे जाने का जोखिम 21 गुना अधिक है। वेबसाइट के मुताबिक, 15 से 19 वर्ष के अश्वेत युवक प्रति लाख 31.17 की दर से मारे गए, जबकि श्वेत युवकों में यह दर 1.47 प्रतिशत थी।
पुलिस ने 1980 से 2012 के दौरान 14 वर्ष या उससे कम उम्र के 41 किशोरों को निशाना बनाया है, जिनमें से 27 अश्वेत, आठ श्वेत, चार हिस्पैनिक और एक एशियाई मूल का था। ‘प्रो पब्लिका’ के मुताबिक, अश्वेत युवकों और पुरुषों को मारने की घटनाओं में अधिकतर श्वेत पुलिसकर्मी ही शामिल रहे हैं। हालांकि, कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिनमें इन घटनाओं में अश्वेत पुलिसकर्मी शामिल रहे।
अन्तर्राष्ट्रीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ की मुलाकात
ब्राजील। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समय) को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अपने इतालवी समकक्ष जियोर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने सांस्कृतिक और पब्लिक टू पब्लिक रिलेशन को मजबूत करने सहित व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि, रियो डी जनेरियो जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधान मंत्री जियोर्जिया मेलोनी से मुलाकात करके खुशी हुई। हमारी बातचीत रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित थी। हमने इस बारे में भी बात की कि संस्कृति, शिक्षा और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सहयोग कैसे बढ़ाया जाए। भारत-इटली मित्रता एक बेहतर ग्रह के निर्माण में बहुत योगदान दे सकती है।
Glad to have met Prime Minister Giorgia Meloni on the sidelines of the Rio de Janeiro G20 Summit. Our talks centred around deepening ties in defence, security, trade and technology. We also talked about how to boost cooperation in culture, education and other such areas.… pic.twitter.com/BOUbBMeEov
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2024
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