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ईवीएम विश्वसनीय, फोरेंसिक जांच में पुष्टि : रावत
ग्वालियर, 5 अगस्त (आईएएनएस)| चुनाव अब बैलेट पेपर के जरिए कराने की शिवसेना सहित तमाम विपक्षी दलों की मांग के बीच भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ.पी. रावत ने यहां रविवार को कहा कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में उच्च न्यायालय ने ईवीएम की फोरेंसिक जांच कराई है। जांच में सभी शिकायतें गलत साबित हुई हैं। यहां राष्ट्रीय लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा संस्थान के टैगोर सभागार में डॉ. एम.पी. तिवारी विचार न्यास द्वारा चुनाव आयोग की सीमाएं और मतदाताओं की अपेक्षाएं विषय पर आयोजित ‘सुनो और पूछो’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रावत ने ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर किए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में उच्च न्यायालय ने ईवीएम की फोरेंसिक जांच कराई है। जांच में सभी शिकायतें गलत साबित हुई हैं। इसी तरह मतदाता सूची से नाम काटे जाने की शिकायत भी असत्य पाई गई हैं। केवल उन मतदाताओं के नाम एक जगह से हटाए गए हैं, जिनके नाम मतदाता सूचियों में दो जगह थे।
उन्होंने आगे बताया कि कुछ जगहों पर अल्पसंख्यकों के वोट काटने संबंधी शिकायत की जांच घर-घर जाकर कराई गई, तब पता चला कि इन परिवारों के मतदाताओं के नाम दो-दो जगह थे। जाहिर है, एक जगह के नाम हटाए गए।
फेरी वाले व मजदूर, कामगार मतदाताओं द्वारा लंबी कतार की वजह से मतदान के लिए न जाने संबंधी सवाल पर रावत ने कहा कि आंध्र प्रदेश में एक ऐसे मोबाइल एप का इस्तेमाल हुआ है, जिससे पता चल जाता है कि मतदान केंद्र पर कितनी लंबी लाइन है। आयोग ने ऐसे नवाचारों का प्रयोग सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों से करने के लिए कहा है।
वीवीपैट की पर्चियों के मिलान संबंधी प्रश्न का उत्तर देते हुए रावत ने कहा कि हर निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदान केंद्र के वीवीपैट की पर्चियों की अनिवार्यत: गिनती कर ईवीएम से मिलान करने का प्रावधान है। इसके अलावा यदि कोई उम्मीदवार शिकायत करता है तो उन मतदान केंद्रों की वीवीपैट पर्चियों का मिलान करने का आदेश संबंधित रिटर्निग अधिकारी दे सकता है।
आधारकार्ड को वोटरकार्ड से लिंक करने संबंधी सवाल के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद इस काम को आगे बढ़ाया जाएगा।
रावत ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग की शक्तियां असीमित हैं। निर्वाचन आयोग हर उस परिस्थिति से निपटने में सक्षम होता है, जिसके लिए कोई कानून नहीं बना है। लोकतंत्र में मतदाता सर्वशक्ति सम्पन्न होते हैं। वे ही अपना प्रतिनिधि चुनते हैं और प्रतिनिधियों से काम करने के लिए कहते हैं।
रावत ने देश के भावी मतदाताओं और नागरिकों के प्रश्नों का बेबाकी से जवाब देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि निर्वाचन आयोग कानून बनने का इंतजार करने के बजाय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय ले, वही निर्णय कानून माना जाएगा।
स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी ढंग से चुनाव सम्पन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए कारगर कदम उठाए हैं। चुनाव आयोग का स्पष्ट नजरिया है कि मतदाता बेखौफ होकर उसे चुनें जो उनकी पसंद का हो और अच्छा काम करता हो।
उन्होंने आगे कहा कि सोशल नेटवर्किं ग से जुड़े प्रबंधकों को भी कड़े निर्देश दिए गए हैं कि वे ऐसा मटेरियल न रखें जो मतदाताओं को भ्रमित करता हो। चुनाव में धन-बल का इस्तेमाल रोकने के लिए भी निर्वाचन आयोग ने सख्त कदम उठाए हैं।
रावत ने कहा कि गर्व की बात है कि भारत की चुनाव प्रणाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ चुनाव प्रणालियों में से एक है। निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रणाली को और पारदर्शी बनाने के लिए वीवीपैट (वोटर वेरीफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) का उपयोग सुनिश्चित किया है। ईवीएम और वीवीपैट के बारे में जनता को अभिप्रेरित करने के लिए गांव-गांव में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बी.एल. कांताराव ने कहा कि निर्वाचन आयोग को ही चुनावों के अधीक्षण, नियंत्रण एवं निर्देशन के संवैधानिक अधिकार हैं। उन्होंने बताया कि आयोग के निर्देश पर मध्यप्रदेश में दिव्यांग मतदाताओं को चिन्हित किया गया है। प्रदेश में एक करोड़ घरों में जाकर साढ़े चार लाख दिव्यांग मतदाता चिन्हित किए गए हैं। साथ ही एक जनवरी 2018 को 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे युवाओं के नाम अभियान बतौर मतदाता सूची में जोड़े गए हैं।
एलएनआईपीई के कुलपति प्रो़ दिलीप कुमार दुरेहा ने कहा कि सभी मतदाता, राजनैतिक दल एवं उनके कार्यकर्ता खेल भावना के साथ चुनाव प्रक्रिया में भाग लें, जिससे लोकतंत्र मजबूत हो और देश की तेजी से तरक्की हो। कार्यक्रम आयोजन से जुड़े राधा वल्लभ शर्मा ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के सूत्रधार अजय तिवारी ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने प्रश्नोत्तरी के प्रतिभागी भावी मतदाताओं को सम्मानित किया।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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