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उत्तर कोरिया ने कराए रैनसमवेयर हमले, भारतवंशी ने जताई आशंका

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उत्तर कोरिया, रैनसमवेयर हमले, भारतवंशी, साइबर हमले, वानाक्राइ वायरस

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लंदन/वाशिंगटन। दुनिया के 150 देशों में 3 लाख से भी ज्यादा कंप्यूटर्स को प्रभावित करने वाले रैंसमवेयर वानाक्राइ वायरस के साइबर हमले के पीछे उत्तर कोरिया का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है।

भारतीय मूल के शोधकर्ता नील मेहता ने दावा किया है कि ये साइबर हमले उत्तरी कोरिया से हो रहे हैं। नील ने ट्विटर पर दावा किया है कि उत्तर कोरिया के लिए काम करने वाला हैकरों का समूह ‘लैजरस ग्रुप’ इन फिरौती वायरस हमलों के पीछे हो सकता है।

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बीबीसी की वेबसाइट पर मंगलवार को प्रसारित रपट में कहा गया है कि मेहता ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा प्राप्त हैं और इससे पहले दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम की इंटरनेट सिक्योरिटी सिस्टम्स में काम कर चुके हैं।

नील ने ट्विटर पर एक मालवेयर के ‘कोड्स’ पोस्ट किए हैं, जो फिरौती वायरस ‘वानाक्राई’ और लैजरस ग्रुप के मालवेयर के बीच संबंध का संकेत देता है। नील ने कहा है कि दुनियाभर के 150 से ज्यादा देशों को निशाना बनाने वाले ‘वानाक्राई’ फिरौती वायरस की कोडिंग का इस्तेमाल लैजरस ग्रुप द्वारा इससे पहले किए गए हमलों में भी हुआ है।

अग्रणी एंटी-वायरस कंपनी ‘कास्पस्र्की लैब’ (दक्षिण एशिया) के प्रबंध निदेशक अल्ताफ हाल्दे ने बताया, “हमारे शोधकर्ताओं ने इन सूचनाओं का विश्लेषण किया और पुष्टि की है कि भारतीय मूल के शोधकर्ता द्वारा रैनसमवेयर ‘वानाक्राई’ और लैजरस ग्रुप के मालवेयर के बीच कोडों में समानता पाई गई है।”

उत्तर कोरिया का हैकिंग ऑपरेशन है ‘लैजरस’

साइबर सुरक्षा से जुड़ी सिमेंटेक और कैस्परस्काई लैब ने सोमवार को बताया कि वानाक्राइ सॉफ्टवेयर के एक पूर्व वर्जन में जो कोडिंग इस्तेमाल की गई थी, उसके कुछ कोड्स को लैजरस ग्रुप ने अपने प्रोग्राम में भी इस्तेमाल किया था। साइबर विशेषज्ञों का मानना है कि लैजरस असल में उत्तर कोरिया का हैकिंग ऑपरेशन है। कैस्परस्काई के एक शोधकर्ता ने कहा कि वानाक्राइ कहां से आया और किसने इसे बनाया, इससे जुड़ा यह सबसे अहम सबूत है। सिमेंटेक और केस्परस्काई लैब ने कहा है कि उन्हें वानाक्राइ की कोडिंग को पढ़ने के लिए अभी और समय चाहिए। इस बीच, वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के होमलैंड सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि इस वानाक्राइ हमले के पीछे विदेशी ताकतों से लेकर साइबर अपराधियों तक का हाथ हो सकता है।

 

 

 

 

नेशनल

गैस चेंबर बनी दिल्ली, AQI 500 तक पहुंचा

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नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर बदतर स्थिति में है। अगर श्रेणी के आधार पर बात करें तो दिल्ली में प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है। कल जहां एक्यूआई 470 था तो वहीं आज एक्यूआई 494 पहुंच चुका है। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में एक्यूआई के आंकड़ें आ चुके हैं। अलीपुर में 500, आनंद विहार में 500, बवाना में 500 के स्तर पर एक्यूआई बना हुआ है।

कहां-कितना है एक्यूआई

अगर वायु गुणवत्ता की बात करें तो अलीपुर में 500, बवाना में 500, आनंद विहार में 500, डीटीयू में 496, द्वारका सेक्टर 8 में 496, दिलशाद गार्डन में 500, आईटीओ में 386, जहांगीरपुरी में 500, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 500, लोधी रोड में 493, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 499, मंदिर मार्ग में 500, मुंडका में 500 और नजफगढ़ में 491 एक्यूआई पहुंच चुका है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में दिल्ली में ग्रेप 4 को लागू कर दिया गया है। इस कारण दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ में स्कूलों को बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन माध्यम से अब क्लासेस चलाए जाएंगे।

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