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उत्तर पुस्तिका पुनर्मूल्यांकन से डीयू ने कमाए 3 करोड़ रुपये

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नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)| दिल्ली विश्वविद्यालय ने 2015-16 और 2017-18 के बीच छात्रों द्वारा उनकी उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्यांकन व पुनर्जाच और उन्हें उसकी प्रतियां मुहैया कराने के लिए छात्रों से तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है। एक आरटीआई अर्जी पर मिले जवाब से इस बात का खुलासा हुआ है।

विश्वविद्यालय द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक, उसने 2015-16 और 2017-18 के बीच अकेले पुनर्मूल्यांकन से 2,89,12,310 रुपये कमाए हैं।

इसी अवधि के दौरान, पुनर्जाच से 23,29,500 और छात्रों को उनकी मूल्यांकित उत्तर पुस्तिका की प्रति मुहैया कराने के लिए 6,49,500 रुपये वसूले गए हैं।

विश्वविद्यालय के नियमों के मुताबिक, छात्रों को एक कॉपी के पूनर्मूल्यांकन के लिए एक हजार रुपये और उत्तर पुस्तिका की पुनर्जाच के लिए 750 रुपये देने होते हैं। इसमें केवल अंकों की दोबारा गणना होती है। साथ ही उत्तर पुस्तिका की प्रति प्राप्त करने के लिए भी छात्रों को 750 रुपये चुकाने होते हैं।

कानून के एक पूर्व छात्र ने आईएएनएस को बताया, मैंने 2016 में अपनी उत्तर पुस्तिका के निरीक्षण की मांग करते हुए आरटीआई अर्जी दायर की थी। मेरी याचिका दो सालों के लिए रोक दी गई और उसके बाद मैंने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का सहारा लिया, जिसने विश्वविद्यालय को आरटीआई की धारा 2 (जे) के तहत उत्तर पुस्तिका की जांच का आदेश दिया।

उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय ने हालांकि अभी मुझे मेरी उत्तर पुस्तिका दिखाने के लिए नहीं बुलाया है। कहा गया है कि वे मामले को उच्च न्यायालय ले जाएंगे।

आरटीआई की धारा 2 (जे) के तहत कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के तहत रखे गए रिकॉर्ड को हासिल कर सकता है, जिसमें निरीक्षण ..नोट्स, निष्कर्ष अन्य उद्देश्य शामिल हैं।

आवेदक ने कहा कि उसे अपनी उत्तर पुस्तिका की जांच की इजाजत दे गई है और अगर कोई भी अंतर पाया जाता है तो वह दोबारा गणना-पुनर्मूल्यांकन के लिए कह सकते हैं, जिसे विश्वविद्यालय को मुफ्त में ठीक करना होगा, क्योंकि वह विश्वविद्यालय द्वारा की गई गलतियों के लिए भुगतान करने को बाध्य नहीं है।

उन्होंने कहा, यह एक गंभीर जनहित का मुद्दा है। हर कोई इतना अमीर नहीं कि वह पूनर्मूल्यांकन के लिए एक हजार रुपये या 750 रुपये चुकाए। यह ठीक भी है कि अगर कोई अंतर पाया जाता है तो विश्वविद्यालय को उसे बिना किसी कीमत के ठीक करने के लिए बाध्य होना चाहिए। वे (विश्वविद्यालय प्रशासन) अपनी गलतियों के लिए छात्रों से भुगतान करा रहे हैं।

सीआईसी ने 18 अगस्त के अपने फैसले में दिल्ली विश्वविद्यालय को व्यापक जनहित में आवेदक को उसकी उत्तर पुस्तिका जांचने की इजाजत देने को कहा था।

सीआईसी के फैसले के बाद भी उत्तर पुस्तिका जांचने की इजाजत नहीं देने पर दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने एक और आरटीआई के माध्यम से विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी से संपर्क किया, जिसने उन्हें बताया कि विश्वविद्यालय की परीक्षा शाखा ने फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।

इससे पहले विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने सीआईसी के समक्ष दावे के साथ कहा था कि वे आरटीआई अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत उत्तर पुस्तिका की जांच की इजाजत देने के खिलाफ हैं।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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