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लाइफ स्टाइल

एआईएफडब्ल्यू के रैंप पर छाया काला जादू

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नई दिल्ली | दिल्ली में चल रहे अमेजन इंडिया फैशन वीक (एआईएफडब्ल्यू) में डिजाइनर नम्रता जोशीपुरा ने अपने संग्रह ‘नाइट गॉडेस’ का रैंप पर प्रदर्शन किया, जो 70 के दशक के आकर्षक चलन से प्रभावित है।

नम्रता ने कहा कि उनके संग्रह के परिधान अपनी बनावट एवं तड़क-भड़क के कारण स्वाभाविक रूप से सत्तर के दशक के चलन से मेल खाते हैं। उन्होंने शुक्रवार को अपने शो के बाद बातचीत में कहा, “मेरा यह संग्रह ग्रीक देवी ‘नाइक्स’ से प्रेरित है। इसी वजह से मेरे डिजाइन किए गए परिधान मेरी सोच के प्रतीक हैं। मुझे लगता है कि काले और गहरे रंगों का इस्तेमाल फैशन में ज्यादा विकल्पों और बेहतर तरीकों से किया जा सकता है। यह पहले से तय नहीं था कि मुझे 70 के दशक के चलन की याद दिलाते परिधान तैयार करने हैं, पर यह अपने आप ही हो गया।” नम्रता ने प्रगति मैदान में चल रहे पांच दिवसीय फैशन शो के तीसरे दिन अपने संग्रह का प्रदर्शन किया, जिसे उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम को समर्पित किया, जिन्होंने 15 मार्च को हॉकी वर्ल्ड लीग जीता है।

नम्रता का संग्रह सुंदरता और शक्ति के मेल का सटीक उदाहरण है, जिसमें भव्यता और श्रेष्ठता की मिली-जुली झलक है। नम्रता ने अपने परिधानों में सैटिन, शिमर एसेटेट ट्यूले, सिल्क जॉर्जेट, फॉक्स फर और नियोप्रिन कपड़ों का इस्तेमाल किया है। रात को गहरे अंधकार के लिए जाना जाता है, लेकिन इसी अंधकार में चांद की रौशनी भी उजाले की छंटा बिखेरती है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए नम्रता ने अपने संग्रह ‘नाइट गॉडेस’ में काले और गहरे रंगों के साथ हरे, सुनहरे और धात्विक रंगों को प्रमुखता से शामिल किया है। इन रंगों के अलावा सैंड, गोल्ड, मेरीगोल्ड ऑरेंज, डीप रेड, मून ग्रे, नेवी, इंग्लिश ब्लू, ओशन, नाइट ग्रीन और रुबी रंगों का भी मिला-जुला इस्तेमाल उन्होंने अपने संग्रह को आकर्षक बनाने के लिए किया है।

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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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