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मुख्य समाचार

एनआरसी प्रक्रिया निष्पक्ष, किसी को सांप्रदायिक सौहार्द नहीं बिगाड़ने देंगे : सोनोवाल

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गुवाहाटी, 30 जुलाई (आईएएनएस)| असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोमवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के पहले पूर्ण मसौदे के प्रकाशन पर खुशी जाहिर की और कहा कि सरकार किसी को भी राज्य के सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने की अनुमति नहीं देगी।

सोनोवाल का बयान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कोलकाता में प्रेस कांफ्रेंस कर असम की भाजपा की अगुवाई वाली सरकार पर आरोप लगाने के कुछ घंटे बाद आया है।

ममता ने आरोप लगाया कि असम की भाजपा की अगुवाई वाली सरकार पार्टी (भाजपा) को वोट नहीं देने वाले लोगों की पहचान कर रही है और उन्हें अलग-थलग करने की कोशिश कर रही है।

ममता बनर्जी ने कहा, वे भारतीय लोगों को अपने ही देश में शरणार्थी बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वह जल्दी ही स्थिति का जायजा लेने के लिए पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल असम भेजेंगी।

सोनोवाल ने कहा, एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया निष्पक्ष व पारदर्शी है और यह सर्वोच्च न्यायालय की प्रत्यक्ष निगरानी में हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय में हमारी पूरी निष्ठा है।

सोनोवाल ने कहा, मुझे उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय के मार्गदर्शन में एनआरसी अंतिम तौर पर त्रुटिरहित एनआरसी तैयार करने में सक्षम होगी, जिसमें सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम शामिल होंगे।

सोनोवाल ने कहा, हमारी सरकार ने विभिन्न संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया है और यह सभी का सहयोग है कि राज्य सरकार पहले पूर्ण एनआरसी मसौदे के साथ आने में सक्षम रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों की वैध अधिकार सुनिश्चित करने व शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

सोनोवाल ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे डरे नहीं और कहा कि जिन लोगों को एनआरसी में अपना नाम नहीं मिला है, उन्हें अंतिम एनआरसी में अपना नाम सूचीबद्ध करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाएगा।

असम सरकार ने सोमवार को एनआरसी का पहला पूर्ण मसौदा प्रकाशित किया। इसमें दस्तावेज में नाम शामिल करने के लिए आवेदन करने वाले कुल 3,29, 91384 लोगों में से 2,89,836,77 लोगों के नाम शामिल हैं।

सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 40,07,707 लोगों के नाम एनआरसी से बाहर हैं।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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