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‘ऑल वेदर रोड’ के नाम पर गंगा का हो रहा सत्यानाश’

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नई दिल्ली, 3 सितंबर (आईएएनएस)| देश की सबसे विशाल व पवित्र माने जाने वाली नदी गंगा की हालत खस्ता है। चार धाम यात्रा के लिए बन रहा चार लेन वाला ‘ऑल वेदर रोड’ सिर्फ और सिर्फ आपदा को निमंत्रण है। उनका कहना है कि इसकी जरूरत किसको है, दरअसल ‘ऑल वेदर रोड’ के नाम पर पूरी गांगा घाटी का सत्यानाश हो रहा है। लाखों पेड़ बर्बाद हो रहे हैं, यह सिर्फ और सिर्फ आपदा को एक निमंत्रण है। यह कहना है प्रसिद्ध पर्यावरणविद व साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स रिवर्स एंड पीपल्स के संयोजक हिमांशु ठक्कर का।

पर्यावरणविद हिमांशु ठक्कर ने कई जगहों पर गंगा नदी में पानी के सूखने पर आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, गंगा के सूखने के पीछे सबसे बड़ा कारण है जलग्रहण क्षमता की कमी, हमारे यहां जब बारिश होती है तो जलग्रहण में उसके पानी को रोकने, उसे जमा करने और उसका पुनर्भरण करने की क्षमता कम हो रही है।

उन्होंने कहा, इसके साथ ही वनों की कटाई, आद्र भूमि, स्थानीय जल निकायों में कमी की वजह से नदियों का पानी सूख रहा है। दूसरा कारण है कि बांधों और मोड़ों (डाइवर्जन) के कारण पानी पानी बड़े पैमाने पर मुड़ रहा है जिससे गंगा का बहाव कम हो रहा है। तीसरा कारण है भू-जल का जो प्रयोग हो रहा है तो उसके कारण भी गंगा नदी में पानी कम हो रहा है और चौथा कारण जलवायु परिवर्तन है, इसके कारण वाष्पीकरण और पानी का उपयोग दोनों ही बढ़ रहे हैं, जिसके कारण गंगा का पानी सूख रहा है।

गंगा के सूखने से लोगों के रोजगार पर पड़े प्रभाव के सवाल पर मौसम विभाग के पूर्व डीजी हिमांशु ठक्कर ने कहा, गंगा करीब पांच देशों और 11 राज्यों में बहती है, जिससे करीब 40 से 50 करोड़ लोगों का भरण पोषण होता है। गंगा पर लोगों की अलग-अलग तरीके से निर्भरता है, जो लोग नदी के साथ साथ उसकी सहायक नदियों में मत्स्य पालन पर निर्भर थे, बड़े पैमाने पर उनकी आजीविका खत्म हो चुकी है क्योंकि मछली पालन व्यापक स्तर पर तबाह हो गया है। क्योंकि बहुत सारी मछलियों की विविधता समाप्त हो चुकी है।

उन्होंने कहा, इसके साथ ही नदी के न बहने के कारण, जो स्थानीय लोग नदियों में नौवहन करते थे उन पर काफी असर हुआ है। जो लोग नदी पर ही पूर्ण रूप से निर्भर थे, उनका जीवन काफी प्रभावित हुआ है और आगे भी भविष्य को लेकर खतरा बरकरार है। इसके अलावा नदी जल की गुणवत्ता का मुद्दा भी काफी जरूरी है। अगर गुणवत्ता खराब होगी तो जो लोग नदी के पानी के ऊपर निर्भर हैं, चाहे खेती के लिए हों, उद्योग के लिए हों या फिर घरेलू उपयोग के लिए, उनके लिए बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है और आगे के दिनों में यह खतरा और बढ़ता जाएगा।

गंगा को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाएं, के सवाल पर हिमांशु ठक्कर ने कहा, अगर गंगा को बचाना है तो हमें सबसे पहले यह देखना होगा कि किन-किन कारणों से गंगा पर गलत असर हो रहा है। दूसरा गंगा में जो प्रदूषण आ रहा है उसे बंद करना होगा। सरकार तो पिछले 30-35 साल से गंगा एक्शन प्लान के नाम पर गंगा को बचाने का प्रयास कर रही है लेकिन उसमें कुछ सफलता अभी तक हासिल नहीं हुई है। प्लान को सफल बनाने के लिए उन्हें पूरे नियमों को बदलना पड़ेगा। चाहे वह गंगा एक्शन प्लान हो या फिर नमामि गंगे दोनों को ही ठीक करना होगा।

उन्होंने कहा, दूसरी बात है नदी में पानी हमेशा बहना चाहिए, तो उसके लिए हमें पूरा जल संसाधन प्रबंधन बदलना होगा, उसमें बारिश और वर्षा जल संग्रह को प्राथमिकता देनी होगी। साथ ही फसल पद्धति में बड़े पैमाने पर बदलाव लाना होगा। आज गंगा किनारों पर गन्ने की खेती बड़ी मात्रा में हो रही है, जिससे चीनी का उत्पादन होता है और उसके बाद उस चीनी का फिर निर्यात भी होता है, उसे निर्यात करने के लिए सरकार सब्सिडी भी देती है। इसका मतलब यह है कि गंगा के पानी का निर्यात हो रहा है और उसकी सब्सिडी सरकार दे रही है, बासमती का भी निर्यात होता है और उस पर भी सरकार सब्सिडी देती है तो हमें अपनी फसल पद्धति बदलनी होगी, और इस तरह की फसलों को कैसे कम किया जाए यह देखना होगा और भू-जल स्तर के नियमन को बेहतर करना होगा।

श्रद्धा के नाम पर प्लास्टिक की थैलियों और दूसरी चीजों को गंगा में बहाने से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के सवाल पर उन्होंने कहा, जी, हां बिल्कुल स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, देखिए गंगा हमारे देश में बड़ी पूजनीय मानी जाती है। धर्म, संस्कृति में इसका बड़ा स्थान है, हमारे त्योहारों में इसका ऊंचा स्थान है लेकिन दिक्कत यह है कि जो धार्मिक संस्थाएं हैं, जो धर्म से जुड़े हुए लोग हैं उनका गंगा को ठीक करने में कोई योगदान नहीं है, उनकी तरफ से कोई प्रयास नहीं होता। शंकराचार्य हों या कुम्भ मेले, जितनी धार्मिक संस्थाएं हैं किसी ने गंगा को साफ रखने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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