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अन्तर्राष्ट्रीय

ओबामा ने अवैध प्रवासियों के प्रति दिखाई उदारता

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वाशिंगटन| अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए अमेरिका की खंडित आव्रजन प्रणाली को दुरुस्त करने और 50 लाख अवैध प्रवासियों को देश निकाला किए जाने से बचाने के लिए एकतरफा कार्रवाई को अंजाम दिया है। इनमें हजारों भारतीय प्रवासी शामिल हैं। व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में गुरुवार रात राष्ट्र को संबोधित करते हुए ओबामा ने विपक्षी रिपब्लिकन के आरोपों को खारिज कर दिया, जो नवंबर के चुनावों में जीत के बाद अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों पर जनवरी नियंत्रण करने की तैयारी में हैं। रिपब्लिकनों का आरोप है कि ओबामा की कार्रवाई दस्तावेज विहीन प्रवासियों को आम माफी की तरह है।

ओबामा ने कांग्रेस की सहमति लिए बगैर की गई अपनी एकतरफा कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा, “आज हमारी आव्रजन प्रणाली ध्वस्त हो गई है और इसे हर कोई जानता है। दशकों से इसकी यही हालत बनी हुई है और दशकों से हमने इसके बारे में काफी कुछ नहीं किया है।” ओबामा ने कहा, “माफी उस आव्रजन प्रणाली को है, जो आज हमारे पास है, उन लाखों लोगों को है, जो यहां बगैर कर चुकाए रहते हैं या नियमों के साथ खिलवाड़ करते हैं, जबकि राजनीतिज्ञ लोगों को डराने के लिए इस मुद्दे को उठाते हैं और चुनाव के दौरान वोट बटोरते हैं।” ओबामा ने कहा कि आम माफी निश्चत रूप से अनुचित होगी, लेकिन आम देश निकाला असंभव भी होगा और हमारे संविधान के खिलाफ भी।

राष्ट्रपति ने कहा, “मैं जो कह रहा हूं वह जवाबदेही है -एक सामान्य समझ, मध्यवर्ती दृष्टिकोण। यदि आप मानदंड पूरा करते हैं, आप छाये से बाहर आ सकते हैं और कानूनन अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।” ओबामा की योजना के तहत, आव्रजन अधिकारियों से कहा जाएगा कि “वे दोषियों के पीछे पड़ें न कि परिवारों के। अपराधियों के पीछे पड़ें न कि बच्चों के। गिरोह के सदस्यों के पीछे पड़ें न कि उस मां के जो अपने बच्चों के लिए कठिन मेहनत करती है।”

ओबामा ने कहा, “हम प्राथमिकता तय करेंगे, जिस तरह कानून प्रवर्तन विभाग प्रत्येक दिन करता है।” ओबामा जिस समय बोल रहे थे, जाड़े के कोट और रंग-विरंगी टोपियां पहने प्रवासियों की भीड़ सड़कों पर निकल पड़ी और लोगों ने कड़कड़ाती ठंड में व्हाइट हाउस के बाहर अपनी खुशियों का इजहार किया। प्रवासी हाथों में तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर लिखा हुआ था, ‘धन्यवाद राष्ट्रपति ओबामा’।

पेव रिसर्च सेंटर की एक नई रपट के अनुसार, अमेरिका में निवास कर रहे लगभग 1.12 करोड़ अवैध प्रवाशियों में मेक्सिको के लोगों की संख्या जहां 59 लाख है, वहीं इस आंकड़े में 450,000 लोगों की भागीदारी के साथ भारत अमेरिका में अवैध प्रवासी स्रोत के मामले में चौथे स्थान पर है। रपट में कहा गया है कि लगभग 81 लाख अवैध प्रवासी अमेरिकी श्रम शक्ति में 5.1 प्रतिशत हिस्सेदारी करते हैं। उनमें से कई कम वेतन वाली नौकरियां करते हैं, जिसे अमेरिकी नागरिक नहीं करना चाहते।

अन्तर्राष्ट्रीय

तनावमुक्त रहना चाहते हैं तो सोशल मीडिया से एक हफ्ते के लिए बना लें दूरी, शोध में हुआ खुलासा

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नई दिल्ली। अगर आप भी तनावमुक्त और चिंतामुक्त रहना चाहते हैं तो सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम से दूरी बना लें। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि एक शोध में ये बात सामने आई है। साइबरसाइकोलॉजी, बिहेवियर एंड सोशल नेटवर्किं ग जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, सोशल मीडिया से मात्र एक सप्ताह की दूरी स्वास्थ्य के लिये बेहतर साबित होती है और इससे तनाव तथा व्यग्रता के लक्षणों में कमी आती है।

बाथ यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता जेफ लैम्बर्ट ने कहा,हम जानते हैं कि सोशल मीडिया का बहुत इस्तमेाल होता है। इसी वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर भी चिंता बढ़ी है। इस अध्ययन के माध्यम से हमने यह जानने की कोशिश कि क्या मात्र एक सप्ताह तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।

उन्होंने कहा, हमने शोध में पाया कि कई प्रतिभागियों ने मात्र एक सप्ताह तक सोशल मीडिया न इस्तेमाल करने पर अपने मूड को बेहतर पाया और उनमें व्यग्रता के लक्षण भी कम दिखे। इससे पता चलता है कि सोशल मीडिया से एक छोटा सा ब्रेक भी स्वास्थ्य के लिये सकारात्मक हो सकता है।

शोध के लिये 18 से 72 साल की आयु के 154 प्रतिभागियों पर शोध किया गया। इनमें से कुछ को कहा गया कि वे पहले की तरह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते रहें जबकि कुछ को इसे पूरी तरह बंद करने के लिये कहा गया। शोध की शुरूआत में ही सबके तनाव, चिंता और स्वास्थ्य का स्कोर ले लिया गया था। एक सप्ताह के बाद पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने सोशल मीडिया से दूरी बनाई थी, उनका मानसिक स्वास्थ्य दूसरे समूह के प्रतिभागियों से बेहतर था।

जिन प्रतिभागियों को सोशल मीडिया से दूर रहने के लिये कहा गया था, वे भी औसतन 21 मिनट सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे थे जबकि दूसरा समूह औसतन सात घंटे सोशल मीडिया पर था।

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