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कलाम का पार्थिव शरीर रामेश्वरम रवाना
रामेश्वरम (तमिलनाडु)। दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर बुधवार को हेलीकॉप्टर के जरिए मुदरै से मंडपम लाया गया। रामेश्वरम, मंडपम से करीब 22 किलोमीटर दूर है। यहां राज्य के मंत्रियों और अन्य लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सशस्त्र बलों ने भी कलाम को सलामी दी, जिसके बाद उनके पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से रामेश्वरम रवाना करने के लिए एक सैन्य ट्रक में रखा गया।
हिन्दुओं का तीर्थस्थल रामेश्वरम तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के अंतर्गत आता है। यह राज्य की राजधानी चेन्नई से करीब 600 किलोमीटर दूर है। ‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर महान वैज्ञानिक और शिक्षक कलाम को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी तादाद में लोग इंतजार कर रहे थे। मंडपम में बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि मौजूदा समय में कलाम जैसा एक भी नेता नहीं है, जिन्होंने लोगों विशेषकर युवाओं के दिलों में अपने लिए खास जगह बनाई।
कलाम के बड़े भाई के पोते ए.पी.जे.एम.के. शेख सलीम ने फोन पर कहा, “बड़ी संख्या में लोग कलाम के अंतिम दर्शन के लिए उनके आवास पर पहुंचे हैं। हमारे सभी रिश्तेदार भी उनकी अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए आए हुए हैं।” कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में हुआ था और उनके शुरुआती दिन बड़े अभाव में बीते थे। उनका सोमवार को मेघालय की राजधानी शिलांग में भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक व्याख्यान देते वक्त दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।
रामेश्वरम ही वही शहर है, जहां कलाम ने युवावस्था में अपने परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए अखबार विक्रेता के रूप में भी काम किया था। उनके पिता के पास एक नौका थी और उनकी मां ने परिवार के भोजन और कपड़ों के लिए लगातार जद्दोजहद झेली थी। कलाम ने जब रामेश्वरम छोड़ने और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ाई करने का निर्णय लिया तो उनकी बहन ने अपने गहने गिरवी रखे, ताकि इसके लिए जरूरी 600 रुपये मिल जाएं। सलीम ने बताया कि कलाम का पार्थिव शरीर बस स्टैंड के करीब एक स्थान पर रखा जाएगा, जहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर पाएंगे और उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे।
उन्होंने कहा, “लोग आज (बुधवार) रात आठ बजे तक उन्हें श्रद्धांजलि दे पाएंगे, जिसके बाद उनका पार्थिव शरीर मस्जिद वाली गली में स्थित उनके आवास ‘कलाम का घर’ में ले जाया जाएगा।” सलीम ने बताया कि कलाम को गुरुवार सुबह 10.30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। रामेश्वरम के स्थानीय निवासी ए. जॉनसन ने कहा, “कलाम दुनिया को रामेश्वरम का एक तोहफा थे। यह दुखद है कि वह उपहार हमसे दूर हो गया।”
एक अन्य स्थानीय निवासी इनोजा ने कहा, “मेरे पास भावनाएं बयां करने के लिए कोई शब्द नहीं है। मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि कलाम नहीं रहे। मुझे रुलाई आ रही है।”
इस बीच, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने एक बयान जारी कर कहा कि कलाम के परिजनों के अनुरोध पर सरकार ने उनके पार्थिव शरीर को दफनाने के लिए भूमि आवंटित की है। रामेश्वर में कलाम की अंत्येष्टि के मौके पर मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में आम लोगों के उमड़ने का अनुमान है, जिसे देखते हुए यहां सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
रामेश्वरम के होटल संचालकों ने बताया कि सभी प्रमुख होटलों के कमरे दो दिन के लिए बुक हो गए हैं।
नेशनल
हिंदू राष्ट्र बनाना है तो हर भेद को मिटाकर हर सनातनी को गले से लगाना होगा -“पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री”
राजस्थान। राजस्थान के भीलवाड़ा में बुधवार (6 नवंबर) से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पांच दिवसीय हनुमंत कथा शुरू हुई. यहां बागेश्वर सरकार अपने मुखारविंद से भक्तों को धर्म और आध्यात्मिकता का संदेश देंगे. छोटी हरणी हनुमान टेकरी स्थित काठिया बाबा आश्रम के महंत बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में तेरापंथनगर के पास कुमुद विहार विस्तार में आरसीएम ग्राउंड में यह कथा हो रही है.
इस दौरान बागेश्वर धाम सरकार ने भी मेवाड़ की पावन माटी को प्रणाम करते हुए सबका अभिवादन स्वीकार किया. हनुमंत कथा कहते हुए बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने हिंदू एकता और सनातन जागृति का संदेश दिया.
उन्होंने कहा, “हनुमानजी महाराज की तरह भेदभाव रहित होकर सबको श्रीरामजी से जोड़ने के कार्य से प्रेरणा लेते हुए सनातन संस्कृति से छुआछूत जातपात के भेदभाव को मिटाना है. अगर हिंदू राष्ट्र बनाना है तो हर भेद को मिटाकर हर सनातनी को गले से लगाना होगा. व्यास पीठ पर आरती करने का हक सभी को है. इसी के तहत भीलवाड़ा शहर के स्वच्छताकर्मी गुरुवार को व्यास पीठ की आरती करेंगे.”
हिंदू सोया हुआ है
बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदू की बुरी दशा है। कुंभकर्ण के बाद कोई सोया है तो वह हिंदू सोया है। अब हिंदुओं को जागना होगा और घर से बाहर निकलना होगा। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हमारे तन में जब तक प्राण रहेंगे तब तक हम हिंदुओं के लिए बोलेंगे, हिंदुओं के लिए लड़ेंगे। अब हमने विचार कर लिया है कि मंच से हिंदू राष्ट्र नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि हमें ना तो नेता बनना है ना किसी पार्टी को वोट दिलाना है। हम बजरंगबली की पार्टी में है, जिसका नारा भी है- जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं।
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