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प्रादेशिक

कश्मीर में सत्ता की चाबी भाजपा के पास

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Jammu: Refugees from Pakistan occupied Kashmir (PoK) celebrate BJP's performance in the recently concluded Jammu and Kashmir assembly polls in Jammu on Dec 24, 2014. (Photo: IANS)श्रीनगर| जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा के लिए हुए चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने के बाद यहां सरकार गठन को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है, लेकिन सत्ता की चाबी केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के पास है। नया जनादेश आने के बाद राज्य में नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के हाथ से सत्ता फिसल गई है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, लेकिन बहुमत से दूर है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘किंग मेकर’ की भूमिका में सामने आई है। केंद्र में सत्तारूढ़ यह पार्टी हालांकि अपने मिशन ’44+’ में कामयाब नहीं हो सकी, फिर भी राज्य में सरकार बनाने की चाबी इसी के पास है।

भाजपा की शर्तो ने हालांकि दोनों पार्टियों को पसोपेश में डाल दिया है। भाजपा ने किसी भी पार्टी को सरकार गठन में सहयोग देने के लिए शर्ते रखी हैं। भाजपा की शर्ते हैं-सरकार के छह साल के कार्यकाल में से आधे समय यानी तीन साल के लिए उसकी सरकार होगी और कोई ‘हिंदू’ मुख्यमंत्री होगा।

राज्य की दोनों प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों ने हालांकि सरकार गठन के लिए अपने विकल्प खुले रखने की बात कही है, लेकिन हिंदूवादी भाजपा की शर्ते नेकां और पीडीपी, दोनों को न तो उगला जा रहा है और न ही निगला जा रहा है।

भाजपा की शर्त सुनकर नेकां ने विपक्ष में बैठने का फैसला किया है। भाजपा की शर्त के बारे में नेकां के एक नेता ने कहा, “देश के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य में भावनात्मक आधार पर ऐसा कुछ नहीं थोपा जाना चाहिए।”

चुनाव में पीडीपी को जहां 28 सीटें मिली हैं, वहीं भाजपा को 25, नेकां को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली हैं।

इस बीच कांग्रेस ने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन की पेशकश की है, लेकिन दोनों पार्टियों को मिलाकर महज 40 सीटें हो रही हैं, जबकि बहुमत के लिए 44 सीटों की जरूरत है।

सरकार गठन में सात निर्दलियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी, लेकिन उनमें से ज्यादातर का झुकाव पहले से ही भाजपा की ओर है। सज्जाद लोन की अध्यक्षता वाली पीपुल्स कांफ्रेंस को दो सीटें मिली हैं। लोन अब भाजपा के हिमायती माने जाते हैं।

इस बीच, उमर अब्दुल्ला ने भले ही राज्य में नेकां की सरकार बनाने के लिए कोशिश न करने की बात कही हो, फिर भी भाजपा सत्ता में पैठ बनाने के लिए उससे संपर्क साधने की कोशिश में है।

सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि भाजपा के कई नेता उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला के संपर्क में हैं। फारूक फिलहाल लंदन में हैं। वहां उनकी किडनी का प्रत्यारोपण हुआ है।

याद रहे कि फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वालों को समंदर में डूब जाना चाहिए। लेकिन जब सत्ता सामने हो तो सियासतदानों के ऐसे बयान भूलते देर नहीं लगती।

नेकां ने शुरू में पीडीपी को सरकार गठन के लिए समर्थन देने की बात कही थी। उमर ने ट्विटर पर इसे दोहराया है, लेकिन पीडीपी इसके लिए बहुत गंभीर नहीं दिखती।

उमर के प्रस्ताव पर श्रीनगर जिले की अमीरा कदाल सीट से जीतने वाले पीडीपी प्रत्याशी अल्ताफ बुखारी ने कहा, “वह समर्थन देने का लिखित प्रस्ताव दें, तभी हम उस पर विचार करेंगे।”

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विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल का बड़ा ऐलान, बुजुर्गों को मिलेंगी पेंशन

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नई दिल्ली। दिल्ली में अब से कुछ ही समय बाद विधानसभा चुनाव का आयोजन होना है। अब चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा दांव खेला है। केजरीवाल ने दिल्ली के बुजुर्गों के लिए बड़ा ऐलान कर दिया है। केजरीवाल ने बताया है कि दिल्ली में 80 हजार नए बुजुर्गों को पेंशन की सौगात मिलेगी। केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में अब सब रूके हुए काम फिर से शुरू कराएँगे।

80 हजार नए बुजुर्गों को पेंशन

अरविंद केजरीवाल की सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसमें बुजुर्गों के लिए बड़ा ऐलान किया। केजरीवाल ने कहा कि वे दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली के बुजुर्गों के लिए अच्छी खबर लेकर आये हैं। सरकार 80 हजार नए बुजुर्गों को पेंशन देने जा रही है। केजरीवाल ने बताया है कि दिल्ली में अब 5 लाख 30 हजार बुजुर्गों को पेंशन मिलेगी।

कितने रुपये की पेशन मिलती है?

अरविंद केजरीवाल ने बताया है कि अभी 60 से 69 साल के बुजुर्गों को 2 हजार रुपये महीना दिया जाता है। इसके अलावा 70 से ज्यादा के बुजुर्गों को 2500 रुपए महीना दिया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस फैसले को कैबिनेट ने भी पास कर दिया है। ये लागू भी हो गया है। केजरीवाल ने बताया है कि पेंशन के लिए 10 हजार नए एप्लिकेशन भी आ गए हैं।

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