Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

कांग्रेस का आरोप- मध्यप्रदेश में भ्रष्टों को मिल रहा संरक्षण

Published

on

Loading

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने व्यापमं घोटाले और इससे जुड़ी 41 मौतों के लिए चर्चित प्रदेश के लोकायुक्त व आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) पर रविवार को सीधा हमला बोला। विपक्षी पार्टी ने कहा कि ये दोनों भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के संरक्षक बन गए हैं, वरना मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उनके मंत्रियों के खिलाफ दर्ज मामलों में ‘क्लीनचिट’ मिलने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में सरकार, लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह कड़वा सच है कि प्रदेश में ‘राजनीतिक शुचिता’ की बातें मुख्यमंत्री शिवराज और सभी भाजपा नेता बढ़चढ़ कर करते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार जैसे सर्वाधिक आम मुद्दे को लेकर मध्यप्रदेश देश में नंबर एक के पायदान आ गया है। उन्होंने कहा कि पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित 18 मंत्रियों और एक पूर्व मंत्री, 32 से अधिक आईएएस, आठ आईपीएस और आठ आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त में आधिकारिक तौर पर प्रकरण दर्ज हुए। इतना ही नहीं, आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में भी कई मंत्रियों और नौकरशाहों के खिलाफ प्रामाणिक शिकायतें दर्ज हैं, लेकिन लोकायुक्त ने इन सभी को क्लीनचिट देकर कीर्तिमान बनाया है, ईओडब्ल्यू भी लोकायुक्त की तर्ज पर काम कर रहा है।

पार्टी का आरोप है कि ये दोनों ही एजेंसियां राज्य सरकार और भाजपा नेताओं के नियंत्रण में काम करने वाली महज ‘कठपुतलियां’ बनकर रह गई हैं। कठपुतली बने रहने का फायदा देखिए कि लोकायुक्त के रूप में नियुक्ति के साथ ही ‘विवादास्पद’ रहे पी.पी. नावलेकर को शिवराज सरकार एक बार फिर उपकृत करने का मन बना चुकी है। मिश्रा ने सूचना का अधिकार कानून के तहत हासिल की गई जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सहित अन्य वर्तमान व पूर्व (प्रकरण दर्ज किए जाने के समय मंत्री) के विरुद्ध भी प्रामाणिक दस्तावेजों के साथ शिकायतें देने के बाद लोकायुक्त संस्था में प्रकरण दर्ज हुए थे।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने आगे कहा कि नियमानुसार, लोकायुक्त संस्था हलफनामे के साथ शिकायतकर्ता द्वारा की गई दस्तावेजी शिकायत की प्रारंभिक जांच करती है। जांच में तथ्य साबित होने के बाद ही प्रकरण दर्ज किया जाता है। यानी तथ्य सही पाए गए, तभी प्रकरण दर्ज कर लिया गया। मगर विडंबना देखिए कि मुख्यमंत्री सहित अधिकांश को क्लीनचिट दे दी गई? यह सब कैसे हुआ, प्रदेश की जनता के सामने एक बड़ा सवाल है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

Published

on

Loading

संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

Continue Reading

Trending