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केजरीवाल से नीति आयोग की बैठक में शामिल होने को कहा था : अमिताभ कांत

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नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)| नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)अमिताभ कांत ने रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस आरोप का खंडन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि आयोग की चौथी शासी परिषद बैठक में उपराज्यपाल अनिल बैजल उनकी जगह शामिल होंगे।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल से बार बार बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया था।

कांत ने बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता में कहा, अरविंद केजरीवाल को अन्य सभी मुख्यमंत्रियों की तरह आमंत्रित किया गया था। हमने उनसे बार बार बैठक में आने के लिए कहा था लेकिन उनकी तरफ से कोई संपर्क नहीं किया गया।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उपराज्यपाल बैठक में शामिल नहीं हो सकते क्योंकि वह नीति आयोग की शासी परिषद के सदस्य नहीं हैं।

कांत ने कहा कि केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि उपराज्यपाल बैठक में उपस्थित हैं इसलिए हम ट्वीट के माध्यम से स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि वह बैठक में उपस्थित नहीं थे।

केजरीवाल ने सुबह बैठक में उनकी जगह उपराज्यपाल की मौजूदगी को लेकर सवाल उठाए थे।

केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था, संविधान के किस प्रावधान के तहत उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री की जगह लेने का अधिकार है? मैंने उन्हें अपनी जगह जाने का अधिकार नहीं दिया था।

इस पर अमिताभ कांत ने जवाब दिया, यह पूरी तरह से गलत है। दिल्ली के उपराज्यपाल नीति आयोग की गर्वनिंग काउंसिल की चौथी बैठक में शामिल नहीं हुए।

केजरीवाल बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि वह अपने तीन कैबिनेट मंत्रियों के साथ सोमवार से उपराज्यपाल कार्यालय में धरना दे रहे हैं।

केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन व गोपाल राय के साथ बीते सोमवार से ही राजनिवास में लगातार धरना पर बैठे हैं। वह उपराज्यपाल से मांग कर रहे हैं कि वह दिल्ली प्रशासन में कार्यरत आईएएस अधिकारियों को ‘अघोषित हड़ताल’ खत्म करने का आदेश दें। केजरीवाल का आरोप है आईएएस अधिकारियों ने भाजपा के दबाव में अघोषित हड़ताल कर रखी है।

उनकी केंद्र सरकार से मांग है कि दिल्ली में गरीबों को उनके घरों पर राशन पहुंचाने के उनकी सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी जाए।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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