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अन्तर्राष्ट्रीय

कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों को रोकने पर चीन ने साधी चुप्पी

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बीजिंग, 26 जून (आईएएनएस)| चीन ने सोमवार को यह बताने से इनकार किर दिया कि उसने कैलाश मानसरोवर जाने वाले भारतीय श्रद्धालुओं के एक जत्थे को क्यों रोक दिया, साथ ही कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों का विदेश मंत्रालय संपर्क में है।

भारतीय श्रद्धालुओं को रोकने के कदम के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, मुझे जो सूचना मिली है, उसके मुताबिक दोनों देशों का विदेश मंत्रालय मुद्दे पर संपर्क में है।

पिछले सप्ताह, कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जा रहे पहले जत्थे के 47 श्रद्धालुओं को चीन ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रोक दिया था।

भारत ने शुक्रवार को कहा कि सिक्किम में नाथुला दर्रा होते हुए कैलाश मानसरोवर जाने वाले भारतीय श्रद्धालुओं को कुछ दिक्कतें पेश आ रही हैं और वह चीन के साथ मुद्दे पर चर्चा कर रहा है।

नाथुला दर्रा होते हुए तीर्थयात्रा में बाधा को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, हां, नाथुला दर्रा के रास्ते यात्रा में तीर्थयात्रियों को दिक्कतें आ रही हैं और मुद्दे पर चीनी पक्ष के साथ चर्चा की जा रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने यह कदम तिब्बत में भूस्खलन को लेकर उठाया।

भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए नाथुला दर्रे को साल 2015 में खोला गया था।

हर साल सैकड़ों भारतीय श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं।

इससे पहले, भारतीय तीर्थयात्री उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा होते हुए मानसरोवर जाते थे, जिसमें काफी वक्त लगता था।

यह कदम बीजिंग में चीन के वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) शिखर सम्मेलन का भारत द्वारा बहिष्कार करने तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में दाखिल होने के भारत के प्रयास में चीन द्वारा अड़ंगा लगाने के कारण दोनों देशों के संबंधों में कड़वाहट के बीच सामने आया है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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