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छग : ऑपरेशन प्रहार से खौफजदा नक्सली ले रहे बाहरी राज्यों में शरण

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जगदलपुर, 2 जुलाई (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में ऑपरेशन प्रहार और नक्सलियों के खिलाफ बढ़े पुलिस दबाव के चलते क्षेत्र में खौफजदा सक्रिय नक्सली नेता बाहरी राज्यों में शरण ले रहे हैं।

इनके स्थान पर तेलंगाना-आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र के नक्सली नेताओं को बस्तर में सक्रिय किया जा रहा है।
डीजी (नक्सल) डी.एम. अवस्थी ने पुष्टि की, हमें भी इस संबंध में खुफिया जानकारी मिली है।

दरभा डिवीजनल कमेटी के सचिव रहे नक्सली नेता सुरेंद्र उर्फ मड़कामी भीमा को नक्सलियों ने नई जोनल कमेटी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी दी है। यह जानकारी पिछले दिनों नक्सलियों के बरामद साहित्य से मिली है।

आत्मसमर्पण के बाद से बस्तर के कई नक्सली नेताओं की पहचान पुलिस को मिली है। इनमें से कई नक्सली नेताओं के घर के पते और उनकी तस्वीरें पुलिस के हत्थे चढ़ने से इन नेताओं पर खतरा मंडराने लगा है। बारसूर एरिया कमेटी के सचिव विलास को पुलिस ने जिस तरह मुठभेड़ में मार गिराया, उससे नक्सलियों में चिंता बढ़ गई है। नक्सली संगठन में पुलिस की सेंधमारी से घबराए नक्सली बस्तर क्षेत्र में अपनी रणनीति में फेरबदल करने पर मजबूर हो गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, बस्तर के कई आदिवासी नक्सली नेताओं की पहचान जाहिर होने के बाद नक्सलियों ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से कई नक्सली नेताओं को बस्तर बुलाया है। इनमें से कई नए नक्सलियों को भाषा, क्षेत्र की जानकारी आदि से रूबरू करवाया जा रहा है।

नक्सलियों ने पुलिस की बढ़ती मुखबिरी पर चिंता जाहिर करते हुए अपने कैडर को निर्देश दिए हैं कि वे मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम से कम करें। यदि जरूरी हो तो कोड में ही बात करें। इसी तरह वॉकी-टॉकी में भी बात कोडवर्ड में करें।

बस्तर के दरभा क्षेत्र मे जहां सुरेंद्र उर्फ मड़कामी भीमा सचिव की जिम्मेदारी निभा रहा था, वहीं श्याम दादा उर्फ चैतू उर्फ पंकज को प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि सुरेंद्र को दरभा से हटाकर दूसरे स्थान पर भेज दिया गया है। ऐसे में दरभा डिवीजन की कमान अब श्याम दादा के पास आ गई है।

वर्तमान में वह दक्षिण बस्तर से दरभा को संभाल रहा है। इसी तरह पश्चिम बस्तर डिवीजन की सचिव माधवी के जाने के बाद वहां कोई नया सचिव बनाकर वरिष्ठ नक्सली नेता व दक्षिण बस्तर रीजनल कमेटी के सचिव गणेश उईके को इस पश्चिम बस्तर डिवीजन की कमान दी गई है।

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कही बड़ी बात

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कर्नाटक। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिनमें दावा किया गया था कि राज्य सरकार नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने रिपोर्टों को एक और नया झूठ बताया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में स्पष्ट किया कि आरक्षण की मांग की गई है लेकिन इस संबंध में सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यह स्पष्टीकरण कर्नाटक में मुसलमानों के लिए आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे विवाद के बीच आया है।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने जारी किया बयान

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘कुछ मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि नौकरियों में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष है। इसमें कहा गया है कि मुस्लिम आरक्षण की मांग की गई है, हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इस संबंध में सरकार के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं है।’

4% कोटा, जो श्रेणी-2बी के अंतर्गत आता, सार्वजनिक निर्माण अनुबंधों के लिए समग्र आरक्षण को 47% तक बढ़ा देता। कर्नाटक का वर्तमान आवंटन विशिष्ट सामाजिक समूहों के लिए सरकारी ठेकों का 43% आरक्षित रखता है: एससी/एसटी ठेकेदारों के लिए 24%, श्रेणी-1 ओबीसी के लिए 4%, और श्रेणी-2ए ओबीसी के लिए 15% है।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव, नसीर अहमद, आवास और वक्फ मंत्री बीजे ज़मीर अहमद खान और अन्य मुस्लिम विधायकों के साथ, 24 अगस्त को एक पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का अनुरोध किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सिद्धारमैया ने वित्त विभाग को उसी दिन प्रस्ताव की समीक्षा करने का निर्देश दिया था, कथित तौर पर उन्होंने इस मामले से संबंधित कर्नाटक सार्वजनिक खरीद पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन का भी समर्थन किया था।

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