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जहां दुनिया का महामूर्ख पैदा हुआ

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नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)| जरा सोचिए, वह आदमी कैसा होगा जो जिस पेड़ की डाल पर बैठा हो उसी को काट रहा हो! भला कोई आदमी ऐसा करेगा? लेकिन किया।

जी हां, ईसा पूर्व तीसरी सदी की बात है। कालिदास का जन्म मिथिला के वर्तमान मधुबनी जिले के उच्चैठ नामक गांव में हुआ था। प्रारंभ में वे मूर्खता के लिए ही जाने जाते थे। उस समय उन्हें महामूर्ख कहा जाता था। कारण स्पष्ट था कि वे पेड़ के उस डली को काट रहे थे, जिस पर वे खुद बैठे थे।

लेकिन तकदीर का खेल कुछ और हुआ। उनकी शादी विदुषी विद्योत्तमा के साथ छलपूर्वक करवा दिया गया था। यही छल उनके लिए वरदान साबित हुआ। कहा जाता है कि पत्नी की डांट से कालिदास काफी आहत रहते थे। उनकी पत्नी हमेशा उन्हें कोसती रहती थी। यही उनकी उदासी का कारण हुआ करता था।

लेकिन जीवन में कई बार विपरीत परिस्थितियां मनुष्य को सबल बना देती है। यह निर्भर करता है कि समय की चुनौतियों को कौन कितना स्वीकार करता है और अपने आप को कसैटी पर खड़ा करता है। समय तो बलवान होता ही है। कालिदास के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन लाने का निर्णय लिया और यह एक मिसाल बना।

ठीक ही कहा गया है, जहां चाह वहीं राह। अंग्रेजी में एक कहावत है- ‘गॉड हेल्प्स दोज, हू हेल्प्स देमसेल्व्स। अर्थात् भगवान उसी की मदद करते हैं, जो स्वयं अपनी मदद के लिए तैयार होता है। कालिदास का शाब्दिक अर्थ है भगवती काली का उपासक। कालिदास, भगवती काली के बहुत बड़े भक्त बने और सरस्वती का उन्हें आशीर्वाद मिला कि जिस पुस्तक को स्पर्श करेंगे, वह पुस्तक उन्हें कंठस्थ हो जाएगा और ऐसा ही हुआ।

कालिदास ज्ञान की प्राप्ति के लिए जगह-जगह भटने लगे। उनका झुकाव अध्ययन के प्रति बढ़ता गया। उनकी एकाग्रचितता एवं अध्यात्म के प्रति समपर्ण से उन्हें अद्वितीय ज्ञानशक्ति मिली। पत्नी प्रेम पाने के लिए कालिदास ने अद्भुत पुस्तकों की रचनाएं की, जो आज समाज के लिए कालजयी रचनाएं बन गई हैं। उस समय पुस्तक की रचना भोजपत्र पर किया जाता था। भाषा संस्कृत थी, जो आज प्रचलन में बहुत ही कम हो गया है।

कालिदास द्वारा लिखित खंडकाव्य ‘मेघदूत’ इंग्लैंड के शेक्सपियर की रचना से भी उत्कृष्ट माना जाता है। आज के वैश्वीकरण के दौर में संस्कृत जिस प्रकार पिछड़ गई, उसी तरह कालिदास की रचनाएं भी पीछे छूट रही हैं और विभिन्न पुस्तकालयों की सिर्फ शोभा बन कर रह गई हैं।

भारतीय दर्शन शास्त्रियों का यह तर्क रहा है कि कालिदास की रचनओं के बाद अब लिखने के लिए बचा ही क्या है। कालिदास भले ही शुरुआती दौड़ में महामूर्ख रहे हों, लेकिन जीवन के उत्तरार्ध में महाविद्वान साबित हुए। इसका श्रेय उनकी पत्नी विद्योत्तमा एवं उनके पर्वितित विचारधारा को जाता है।

कालिदास की सारी रचनाएं अपने आप में दर्शन है। उनकी रचना ‘मालविकाग्निमित्रम्’ में नीतिशास्त्र का वर्णन है तो वहीं ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ में प्रेमकथा का अद्भुत वर्णन है। उनके द्वारा की गई छोटी-बड़ी कुल लगभग चालीस रचनाएं हैं। जिस कृति के कारण कालिदास को सर्वाधिक प्रसिद्धि मिली, वह है उनका नाटक ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ जिसका विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनके दूसरे नाटक ‘विक्रमोर्वशीयम्’ तथा ‘मालविकाग्निमित्रम्’ भी उत्कृष्ट नाट्य-साहित्य के उदाहरण हैं। उनके दो अमूल्य महाकाव्य ‘रघुवंशम्’ और ‘कुमारसंभवम्’ और दो खंडकाव्य ‘मेघदूतम्’ और ‘ऋतुसंहार’ आज भी प्रासंगिक हैं।

कालिदास अपनी अलंकार युक्त सरल और मधुर भाषा के लिए जाने जाते हैं। उनके ऋतु वर्णन बहुत ही सुंदर हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल हैं। संगीत उनके साहित्य की विशेषता है और रस का सृजन करने में उनकी कोई उपमा नहीं। उन्होंने अपने श्रृंगार रस प्रधान साहित्य में भी साहित्यिक सौंदर्य के साथ-साथ आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है।

महाकवि कालिदास की गणना भारत के ही नहीं, बल्कि संसार के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों में की जाती है। उन्होंने नाटक, महाकाव्य तथा गीतिकाव्य के क्षेत्र में अपनी अद्भुत रचनाशक्ति का प्रदर्शन कर अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है।

महाकवि कालिदास और ज्योतिरीश्वर, विद्यापति, यात्री नागार्जुन की धरती, यानी कला, साहित्य, संस्कृति व ज्ञान-विज्ञान के केंद्र मिथिला के दर्शन अवश्य करें।

(लेखक डॉ. बीरबल झा, ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक एवं मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। मोबाइल नंबर 9810912220)

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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