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अन्तर्राष्ट्रीय

जिंबाब्वे के पूर्व उपराष्ट्रपति का मुगाबे से पद छोड़ने का आग्रह

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हरारे, 21 नवंबर (आईएएनएस)| जिंबाब्वे के पूर्व उपराष्ट्रपति एमरसन नांगाग्वा ने मंगलवार को राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे से तत्काल इस्तीफा देने का आग्रह किया। मुगाबे द्वारा एमरसन को पिछले सप्ताह पद से हटाए जाने के बाद सेना ने देश के शासन की बागडोर अपने हाथों में ले ली थी। बीबीसी के अनुसार, किसी अज्ञात स्थान से बोलते हुए नांगाग्वा ने कहा कि वह तबतक जिंबाब्वे नहीं लौटेंगे, जबतक उन्हें आश्वस्त नहीं किया जाएगा कि वह सुरक्षित हैं। मुगाबे ने उन्हें ‘देश में मौजूदा राजनीतिक हालात की चर्चा’ के लिए आमंत्रित किया था।

नांगाग्वा ने कहा कि उसे नवंबर में एक सुरक्षाकर्मी ने बताया था कि उन्हें पद से हटाने और उसके बाद हिरासत में लेने की योजना बनाई जा रही है।

उन्होंने कहा, मैंने राष्ट्रपति से मुझे हटाने के लिए मेरे साथ किए गए व्यवहार और तरीके की वजह से कहा है कि मैं तबतक वापस नहीं आऊंगा जबतक मैं अपने निजी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त न हो जाऊं।

नांगाग्वा ने कहा कि 93 वर्षीय राष्ट्रपति को लोगों की आवाज सुनकर पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। सत्तारूढ़ जानू-पीएफ पार्टी मंगलवार को संसद में मुगाबे के खिलाफ महाभियोग शुरू कर सकती है।

मुगाबे पर उनकी पत्नी ग्रेस द्वारा संवैधानिक ताकत का इस्तेमाल करने का अरोप है। नांगाग्वा को पद से हटाने का फैसला ग्रेस को देश की नेता के तौर पर आगे बढ़ाने के तौर पर देखा गया था।

नांगाग्वा ने कहा, मुगाबे ने हमेशा कहा है कि अगर लोग उन्हें नहीं चाहेंगे तो वह सत्ता से हट जाएंगे, इसलिए अब उन्हें लोगों की इच्छाओं का सम्मान करते हुए ‘इस्तीफा’ दे देना चाहिए।

नांगाग्वा ने कहा कि उन्होंने मुगाबे को दो विकल्पों -शांति से काम करने व विरासत को संरक्षित करने या अपमान से बाहर होने- के बारे में बता दिया है।

उन्होंने कहा, लोगों की इच्छा एक व्यक्ति के खिलाफ है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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