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बिजनेस

अप्रैल की बजाय एक जुलाई से लागू हो सकता है जीएसटी : जेटली

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Arun jaitleyनई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत दोहरे नियंत्रण का मुद्दा सुलझ गया है और पहले से निर्धारित एक अप्रैल, 2017 की जगह जीएसटी एक जुलाई से लागू हो सकती है। राष्ट्रीय राजधानी में जीएसटी परिषद की नौवीं बैठक के बारे में संवाददाताओं से जेटली ने कहा कि जीएसटी मसौदा विधेयक व नियमों को अंतिम रूप देने तथा राज्य विधानसभाओं द्वारा इसे पारित करने में लगने वाले समय के कारण इसका क्रियान्वयन एक अप्रैल से नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा, “व्यापक आम राय के मुताबिक, इसे एक जुलाई से लागू किया जा सकता है।” वित्तमंत्री ने कहा, “इसके अलावा, उद्योग तथा व्यापार को जीएसटी के लिए तैयार होने के लिए नोटिस देना पड़ेगा।” वित्तमंत्री ने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर मतभेद सुलझ गया है।

उन्होंने कहा, “केंद्र व राज्य सरकारों के बीच बनी समझ के मुताबिक, 1.5 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वालों में से 90 फीसदी जीएसटी करदाताओं पर राज्य का नियंत्रण होगा, जबकि बाकी 10 फीसदी पर केंद्र सरकार का।”

इससे पहले, केरल के वित्तमंत्री थॉमस इसाक ने राष्ट्रीय राजधानी में जीएसटी परिषद की बैठक में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से कहा कि प्रस्तावित जीएसटी के तहत दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर कोई आमराय नहीं बन पाई और इस कानून के एक अप्रैल से लागू होने की संभावना बेहद कम है।

उन्होंने कहा कि इस विवादित मुद्दे को सुलझाने के लिए किसी तारीख पर फैसला नहीं लिया गया। संभावना है कि इस मुद्दे पर चर्चा अब एक फरवरी को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा केंद्रीय बजट पेश करने के बाद ही होगी। इससे पहले परिषद की आठ बैठकों के दौरान दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर केंद्र तथा राज्यों के बीच जारी गतिरोध नहीं टूट पाया।

इसाक ने कहा, “तमिलनाडु ने समझौता फॉर्मूला पेश किया, जिसमें 1.5 करोड़ से कम के कारोबार वाले व्यापार पर राज्यों के नियंत्रण तथा आडिट के लिए केंद्र को इस पर 10 फीसदी कर दिए जाने की बात कही गई।” उन्होंने यह भी कहा कि समुद्री क्षेत्रों में होने वाली बिक्री पर जीएसटी को लेकर आमराय लगभग बन चुकी है। तटवर्ती राज्यों के 12 समुद्री मील के दायरे में होने वाले व्यापार पर जीएसटी लगाने का कई राज्यों ने विरोध किया है।

इसाक ने कहा, “क्षेत्रीय मुद्दे पर हमने सहमति जताई है कि राज्य कर संग्रह करना जारी रख सकता है।” जेटली ने परिषद की अगली बैठक 18 तारीख को तय की है।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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