ऑफ़बीट
डायबटीज़ के मरीज़ न करें इन सफ़ेद चीज़ों का सेवन, बढ़ सकती हैं परेशानी
डायबिटीज रोगियों को अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना बहुत ही जरूरी है. आपको बता दें कि डायबिटीज रोगियों को बहुत से चीजों को खाने-पीने की मनाही होती है. वहीं डायबिटीज को लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करके कंट्रोल में रखा जा सकता है. ऐसा करने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है. डायबिटीज के मरीज को ज्यादा कार्बोहाइड्रेट, फैट और चीनीयुक्त मीठे पदार्थ खाने से बचना चाहिए. हालांकि खाने में तीन प्रकार के कार्बोहाइड्रेट मौजूद होते हैं- स्टार्च, शुगर और फाइबर. स्टार्च और शुगर डायबिटीज वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है क्योंकि शरीर इन्हें ग्लूकोज में तोड़ देता है.
रिफाइंड कार्ब्स, या रिफाइंड स्टार्च प्लेटों तक पहुंचने से पहले प्रोसेसिंग के जरिए टूट जाते हैं. इस वजह से शरीर उन्हें जल्दी अवशोषित कर लेता है और उन्हें ग्लूकोज में बदल देता है. इससे शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. रोजाना खाई जाने वाले सफेद रंग की कुछ चीजें स्टार्च और शुगर जैसे कार्ब्स से भरी होती हैं जिनका सेवन ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. आइए जानते हैं कौन सी वो सफेद चीजें हैं जिनका सेवन डायबिटीज रोगियों को बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
पास्ता
पास्ता को सॉस, क्रीम, चीज़ और बहुत सारे मक्खन से बनाया जाता है. इससे आपको बहुत ज्यादा कैलोरी, फैट और कार्बोहाइड्रेट मिलता है. यह मैदे से बना होता है जो कि शरीर में ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. इससे मोटापा बढ़ने का भी खतरा होता है. डायबिटीज रोगियों को पास्ता खाने से बचना चाहिए.
आलू
आलू लगभग सभी को पसंद होता है और इसके बिना कोई भी सब्जी टेस्टी नहीं बनती है. आलू में कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन और फाइबर मौजूद होता है. इसमें हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है और यह डायबिटीज के रोगियों के लिए सही नहीं है. आलू खाने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल की मात्रा बढ़ती है.
मैदा
मैदे में अधिक मात्रा में स्टार्च मौजूद होता है जबकि विटामिन, मिनरल्स और फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है. मैदे से बनी किसी भी चीज का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है. मैदे का अधिक सेवन कब्ज की परेशानी तैयार कर सकता है. मैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ज्यादा होता है. यह लोगों को डायबिटीज और मोटापे का शिकार बना सकता है.
चीनी
चीनी से बने मीठे खाद्य पदार्थों में ज्यादातर शुगर और कार्बोहाइड्रेट मौजूद होते हैं. इनमें बहुत ही कम मात्रा में कोई भी पोषण तत्व मौजूद होता है और यह शरीर में ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ा सकती हैं. चीनी से वजन बढ़ाने, हार्ट संबंधी बीमारियों और स्ट्रोक का जोखिम भी अधिक होता है.
चावल
एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग सफेद चावल खाते हैं उनमें टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का खतरा बहुत अधिक होता है. ऐसे में आपको प्री-डायबिटीज है, तो आपको चावल नहीं खाना चाहिए. सफेद चावल में हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो बॉडी का ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकता है.
सफेद ब्रेड
सफेद ब्रेड सफेद आटे से बनी होती है, जो कि रिफाइंड स्टार्च से भरी होती है. यह चीजें चीनी की तरह काम करती हैं और बहुत जल्दी पच जाती हैं. इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है. सफेद ब्रेड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है. इसमें फाइबर की कमी भी होती है.
उत्तर प्रदेश
संभल में 46 साल बाद खुले मंदिर के कुएं से निकली माता पार्वती की खंडित मूर्ति
संभल। उत्तर प्रदेश के संभल में बिजली चोरी के खिलाफ अभियान चला रहे प्रशासन को बीते दिनों करीब 46 साल से बंद पड़ा मंदिर मिला था। यह मंदिर उसी इलाके में है, जहां हिंसा हुई थी और लंबे समय से बंद था। इस हिंदू मंदिर में पहले महादेव की मूर्ति निकली।
उसके बाद मंदिर के प्रांगण में स्थित कुएं की खुदाई की गई। इसके बाद इस मंदिर से मां पार्वती की खंडित प्रतिमा बरामद की गई है। फिलहाल पुलिस ने इस प्रतिमा को अपने कब्जे में ले लिया है और जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। हालातों को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है।
बता दें कि संभल के नखासा थाना इलाके के मोहल्ला ख़ग्गू सराय में स्थित शिव मंदिर के कपाट खुलने के बाद खुद पुलिसकर्मियों ने मूर्तियों की सफाई की थी। इस दौरान हर-हर महादेव के जयकारों से पूरा आसमान गूंज उठा था। 46 साल बाद खुले मंदिर में पूजा शुरू कर दी गई है। आज भी बड़ी संख्या में भक्त जलाभिषेक करने पहुंचे थे।
ये शिव मंदिर सपा सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस शिव मंदिर पर प्राचीन महादेव मंदिर लिख दिया गया है और मंदिर परिसर में मिले कुएं की खुदाई भी की जा रही है।
बताया जा रहा है कि प्रशासन अब इस मंदिर की कार्बन डेटिंग कराएगा. इसके लिए जिला प्रशासन ने भस्म शंकर मंदिर, शिवलिंग और वहां मिले कुएं की कार्बन डेटिंग कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एक पत्र लिखा है. इस जांच के जरिए प्रशासन इस बात की जानकारी प्राप्त करेगा कि ये मंदिर और इसकी मूर्ति कितनी पुरानी हैं.
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