अन्तर्राष्ट्रीय
डोकलाम सड़क निर्माण के बारे में पहले ही भारत को अवगत कराया : चीन
बीजिंग, 2 अगस्त (आईएएनएस)| चीन ने बुधवार को कहा कि सीमा पर डोकलाम में सड़क निर्माण गतिविधि के बारे में उसने भारत को पहले ही सूचित कर दिया था, साथ ही भारतीय सैनिकों को वहां से हटाने की मांग एक बार फिर दोहराई।
चीन ने पहले ही कहा है कि वह भारत से तब तक बात नहीं करेगा, जब तक कि वह अपने सैनिकों को यहां से नहीं हटाता। चीन ने यह भी संकेत दिया कि सीमा के सिक्किम सेक्टर में विवाद को हल करने के लिए दोनों पक्ष संपर्क में हैं।
अपने 15 पन्नों के दस्तावेज में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि डोकलाम में इस गतिरोध के शुरू होने के बाद से भारतीय सैनिकों की संख्या जुलाई के अंत तक 270 से घटकर 40 हो गई है।
डोकलाम में 16 जून को चीनी सेना द्वारा सड़क निर्माण को लेकर भारतीय व चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध शुरू हुआ था।
डोकलाम पर स्वामित्व पर कोई फैसला न होने का हवाला देते हुए भारतीय सैनिकों ने चीन द्वारा सड़क निर्माण को रोक दिया था।
डोकलाम पर चीन व भूटान दोनों ही दावा करता है। भारत भूटान के दावे का समर्थन करता है।
मंत्रालय ने कहा, चीन द्वारा अपने क्षेत्र में सड़क निर्माण का उद्देश्य स्थानीय परिवहन में सुधार लाना है, जो पूरी तरह से वैध और न्यायसंगत है। चीन ने सड़क निर्माण में सीमा का उल्लंघन नहीं किया और इस काम में चीन की अच्छी मंशा से भारत को पहले ही अवगत करा दिया गया था।
दस्तावेज में चीन ने भारत के उन दावों को खारिज कर दिया है जिसमें भारत ने कहा है कि चीन सड़क निर्माण के जरिए सीमा क्षेत्र की यथा स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है।
दस्तावेज में कहा गया कि भारतीय सैनिकों की चीनी क्षेत्र में ‘घुसपैठ’ सीमा की यथास्थिति को बदलने का वास्तविक प्रयास है और इसने चीन-भारत सीमा क्षेत्र में शांति व सौहार्द को कमजोर किया है।
यह टिप्पणी चीन के ‘द फैक्ट्स एंड चाइना पोजीशन कंसरिंग द इंडियन बॉर्डर ट्रप्स क्रॉसिंग ऑफ द चाइना-इंडिया बाउंडरी इन द सिक्किम सेक्टर इंटू द चाइनीस टेरिटरी’ नामक दस्तावेज में की गई है।
दस्तावेज में चीन ने भारत के इस तर्क को खारिज कर दिया कि भारत, चीन और भूटान की त्रिसीमा (जहां तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं) पर सड़क निर्माण नई दिल्ली की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
भारत सड़क को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है, क्योंकि यह उसके बेहद महत्वपूर्ण सिलीगुड़ी गलियारे के करीब है, जो शेष भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है।
दस्तावेज के अनुसार, तथाकथित सुरक्षा चिंताओं के आधार पर किसी भी तरह की गतिविधियों के लिए पड़ोसी देश के क्षेत्र में प्रवेश करना अंतर्राष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानकों के खिलाफ है।
किसी भी संप्रभु राष्ट्र द्वारा इस तरह के प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसलिए भारत व चीन को दो पड़ोसी देशों के तौर पर इस विवाद को सामान्य तरीके से सुलझाना चाहिए।
दस्तावेज के मुताबिक, चीन को भूटान के साथ कोई समस्या नहीं है और दोनों पक्ष सीमा मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहे हैं और भारत को इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
दस्तावेज के अनुसार, चीन-भूटान सीमा मुद्दा चीन और भूटान के बीच का मामला है। इसका भारत के साथ कोई लेना-देना नहीं है। तीसरे पक्ष के रूप में भारत को चीन और भूटान के बीच सीमा वार्ता में हस्तक्षेप या उसे बाधित करने का कोई अधिकार नहीं है।
यह घटना चीन की तरफ सीमांकित सीमा में हुई है। भारत को अपने सैनिकों को फौरन और बिना शर्त वापस अपने क्षेत्र में बुला लेना चाहिए। इस गतिरोध के समाधान के लिए यही एक शर्त और आधार है।
बयान के अनुसार, इस गतिरोध के बाद भी चीन ने अत्यंत सद्भावना और महान संयम दिखाया है और इस मुद्दे को हल करने के लिए राजनयिक वार्ता के माध्यम से भारत के साथ संवाद स्थापित करने की मांग की है।
गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने यहां पिछले सप्ताह ब्रिक्स सुरक्षा बैठक से इतर चीन के शीर्ष राजनयिक से मुलाकात की थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात
नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।
मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।
-
लाइफ स्टाइल1 day ago
दिल से जुड़ी बीमारियों को न्योता देता है जंक फूड, इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज
-
लाइफ स्टाइल2 days ago
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
-
ऑफ़बीट2 days ago
SAMAY RAINA : कौन हैं समय रैना, दीपिका पादुकोण को लेकर कही ऐसी बात, हो गया विवाद
-
मनोरंजन3 days ago
रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण ने स्वर्ण मंदिर में टेका मत्था, सोशल मीडिया पर शेयर की फोटो
-
उत्तर प्रदेश2 days ago
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
-
झारखण्ड3 days ago
JHARKHAND CM : 28 नवंबर को हेमंत सोरेन लेंगे शपथ
-
खेल-कूद2 days ago
IND VS AUS: पर्थ में टूटा ऑस्ट्रेलिया का घमंड, भारत ने 295 रनों से दी मात
-
नेशनल2 days ago
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के नतीजे जारी, अध्यक्ष पद पर NSUI के रौनक खत्री ने दर्ज की जीत