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अन्तर्राष्ट्रीय

‘डोभाल मुख्य षड्यंत्रकारी, सीमा विवाद नहीं सुलझा सकते’

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बीजिंग, 25 जुलाई (आईएएनएस)| चीन के एक दैनिक समाचार-पत्र ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद का एक ‘मुख्य षड्यंत्रकारी’ करार देते हुए कहा है कि डोभाल की शुक्रवार को होने वाली बीजिंग यात्रा से इस विवाद का हल संभव नहीं है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने मंगलवार को प्रकाशित अपने संपादकीय में लिखा है, मौजूदा सीमा विवाद के पीछे मुख्य षड्यंत्रकारियों में डोभाल को शामिल माना जा सकता है। बीजिंग दौरे के दौरान अगर डोभाल सीमा विवाद पर बीजिंग से चर्चा करने की कोशिश करेंगे, तो निश्चित तौर पर उन्हें निराशा हाथ लगेगी।

सीमा विवाद समाप्त करने के लिए भारतीय सैनिकों को डोकलाम से हटाए जाने की ‘पूर्व शर्त’ रखते हुए समाचार पत्र कहता है कि बीजिंग में चल रही ब्रिक्स देशों के फोरम के दौरान ब्रिक्स देशों के एनएसए के बीच होने वाली बैठक में डोभाल के हिस्सा लेने से सीमा विवाद को लेकर चीन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आएगा।

ग्लोबल टाइम्स अपने संपादकीय में कहता है, चीन के सीमाक्षेत्र से भारतीय जवानों की वापसी पूर्व शर्त है और दोनों देशों के बीच किसी सार्थक बातचीत का आधार है। जबतक भारत अपने सैनिकों को बिना किसी शर्त के वापस नहीं बुलाता, चीन सीमा विवाद को लेकर कोई बातचीत नहीं करेगा।

समाचार पत्र कहता है कि अगले महीने होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की तैयारियों के तहत यह ब्रिक्स एनएसए की बैठक हो रही है, तथा यह सीमा विवाद को लेकर बातचीत का सही मंच नहीं है।

उल्लेखनीय है कि भारत, भूटान और तिब्बत की तिहरी सीमा से सटे डोकलाम में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को सड़क निर्माण करने से यह कहकर रोक दिया था कि क्षेत्र भूटान के अधिकार क्षेत्र में आता है और निर्माणाधीन सड़क नई दिल्ली की रणनीतिक हितों के लिए खतरा होगा। भारत ने यह भी कहा है कि सीमा विवाद पर बातचीत शुरू करने से पहले दोनों देश डोकलाम से अपनी-अपनी सेनाएं वापस बुलाए।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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