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तालिबान ने लड़ाकों को सरकारी नियंत्रण वाले इलाकों में जाने से रोका
काबुल, 17 जून (आईएएनएस)| तालिबान ने रविवार को अपने लड़ाकों को अफगान सरकार के नियंत्रण वाले इलाकों में नहीं जाने का आदेश दिया।
तालिबान ने यह आदेश विद्रोहियों और नागरिकों की एक भीड़ पर इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह द्वारा किए गए हमले के एक दिन बाद दिया है। इस हमले में 25 लोगों की मौत हो गई थी। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, इस हमले से राष्ट्रपति अशरफ गनी के एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा के बाद तालिबान व सेना के बीच नजदीक आने के प्रयास को धक्का लगा है। राष्ट्रपति की घोषणा के दो दिन बाद तालिबान ने पवित्र रमजान महीने की समाप्ति के मौके पर तीन दिनों के संघर्षविराम की घोषणा की थी।
तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक बयान में कहा, बीते रोज नांगरहार प्रांत के रोडाटो जिले के एक पार्क में विस्फोट हुआ, जिसमें कई देशवासियों की मौत हो गई और बहुतों को चोंटे आईं।
मुजाहिद ने कहा, इस तरह की घटनाओं को फिर होने से रोकने के लिए इस्लामिक अमीरात (तालिबान) अपने सभी मुजाहिदीनों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में बने रहने और शत्रु के नियंत्रण वाले क्षेत्र या शहर में जाने का जोखिम नहीं उठाने का आदेश देता है।
संघर्ष के 17 सालों में पहली बार शुक्रवार से तालिबान लड़ाके और सुरक्षा बल के सदस्य देश के विभिन्न हिस्सों में एक ही मस्जिद में एक साथ प्रार्थना कर रहे थे और एक-दूसरे के नियंत्रण वाले इलाकों में आवागमन कर रहे थे और यहां तक कि तस्वीरें खिंचाई, जिसमें वे एक-दूसरे को गले लगाते दिख रहे हैं।
सरकार की अनुमति से सुरक्षा बलों के पास अपने हथियार छोड़कर शनिवार को बड़ी संख्या में विद्रोही काबुल में दाखिल हुए और राजधानी के पश्चिमी प्रवेश द्वार के पास आंतरिक मंत्री वैस अहमद बरमाक ने उनका स्वागत किया।
यह खुशी इस्लामिक स्टेट द्वारा नांगरहार प्रांत में हमले से कम हो गई, जहां तालिबान व नागरिक संघर्षविराम का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए थे। इसमें 25 लोगों की मौत हो गई और 54 अन्य घायल हो गए।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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