बिजनेस
नियामकीय ढांचा सुसंगत हो : आईटीसी
कोलकाता| देश की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए नियामकीय ढांचा सुसंगत होना चाहिए और नीति तथा प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए, जिससे उद्यमिता हतोत्साहित नहीं हो। यह बात यहां शुक्रवार को आईटीसी के अध्यक्ष वाई.सी. देवेश्वर ने कही। कंपनी की सालाना आम बैठक में उन्होंने कहा, “व्यापार की सुविधा के लिए काफी कुछ किया जा चुका है, वहीं उद्योग के नियामकों और विकासकर्ताओं के लिए जिम्मेदार प्रतिस्पर्धात्मकता की साझा सोच भी उतनी ही जरूरी है।”
उन्होंने कहा कि नियामकीय नीतियां एक-दूसरे से अलग-थलग हैं और एक उद्येश्य की कीमत पर दूसरे को बढ़ावा दिया जा रहा है।उन्होंने कहा, “नीति और प्रक्रिया स्पष्ट, सरल और पारदर्शी होनी चाहिए। स्वेच्छाचारी नियामकीय कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए और उद्यमिता को हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “हर नियामकीय ढांचे को इस सवाल पर परखा जाना चाहिए कि क्या यह देश को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाएगा।”देवेश्वर ने कहा कि देश के निर्यात पर गौर करने से पता चलता है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता में की है और पहले देश में ब्रांड मजबूत किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि देश की वैश्विक स्तर की कंपनियां जब मजबूत भारतीय ब्रांडों का निर्माण करेगी, तब मेक इन इंडिया अभियान को मजबूती मिलेगी।”
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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