Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

नेपाल वापस नहीं जाना चाहते बिहारी कामगार

Published

on

Loading

रक्सौल (बिहार)| विनाशकारी भूकंप प्रभावित नेपाल से लौटकर आए बिहार के प्रवासी कामगारों के चेहरों पर दहशत अभी भी दिख रही है। उन्हें अपनी आजीविका और भविष्य की चिंता तो है, लेकिन उन्होंने इस हिमालयी देश में दोबारा वापस न जाने का फैसला किया है।

अनिल ठाकुर ने बताया, “हम अपनी आजीविका के लिए क्या करेंगे? हमें दोबारा नौकरी ढूंढ़नी है। लेकिन हमारा परिवार काम के लिए काठमांडू जाने की इजाजत देगा, इसकी उम्मीद कम है।”

भारत-नेपाल सीमा से सटे पूर्वी चंपारण के रक्सौल में स्थित राहत शिविर में 25-30 साल के अनिल 20-25 साल के सुरेंद्र साहनी तथा अन्य प्रवासी कामगारों के साथ रह रहे हैं।

सिवान के अनिल और दरभंगा के साहनी उन 40,000 प्रवासी कामगारों में शामिल हैं, जो वापस लौट आए हैं और बिहार में अपने-अपने घरों की ओर रवाना हो रहे हैं। वे सभी नेपाल वापस जाने को लेकर डरे हुए हैं।

उनका भविष्य उस समय अनिश्चित दिख रहा है, जब एक मई को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है।

अनिल ने आईएएनएस से कहा, “मैं नेपाल कभी नहीं जाऊंगा, इसका कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। मैं काम के लिए देश के दूसरे राज्यों में जाऊंगा, क्योंकि मैं नेपाल में मौत के नजदीक से हो कर आया हूं।”

अनिल विदेशी पर्यटकों के लिए काम करने वाली एक पर्यटन एजेंसी में काम कर रहे थे, जो कि काठमांडू में फायदेमंद क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि अच्छी जिंदगी को लेकर उनकी उम्मीद क्षीण हो गई है।

साहनी ने बताया कि वह पहले घर जाएंगे और कम से कम एक सप्ताह रहेंगे।

उन्होंने कहा, “मैं आजीविका की तलाश में तमिलनाडु, केरल या आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण भारत के किसी राज्य में जाऊंगा, क्योंकि मेरे गांव और पड़ोसी गांव के लोग वहीं काम कर रहे हैं।”

एक अन्य प्रवासी कामगार मोहम्मद अशरफ ने भूकंप को याद करते हुए कहा कि काठमांडू में हजारों लोग मारे गए हैं और वह कभी भी आजीविका के लिए नेपाल नहीं जाएंगे।

बिहार के सिवान निवासी अशरफ ने बताया, “यह कठिन फैसला है, लेकिन कभी नेपाल नहीं जाऊंगा, क्योंकि भगवान ने मुझे एक नई जिंदगी दी है।”

ऐसी ही कहानी शिविर में मौजूद संतोष सिंह, अली हसन, मोहम्मद तैयब, सोहन ठाकुर, मिथलेश सिंह और सुल्तान अहमद जैसे लोगों की है।

यहां तैनात सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, हर साल नेपाल की सीमा से लगे बिहार के जिलों से हजारों लोग हिमालयी राज्य की तरफ, विशेषकर राजधानी काठमांडू में आजीविका की तलाश में जाते हैं।

अधिकारियों ने बताया, “भूकंप के बाद अबतक पांच लाख में सिर्फ 40,000 लोग ही बिहार लौटे हैं। कई लोग वहां फंसे हुए हैं और वे भी जल्द लौट आएंगे।”

अत्यधिक गरीबी, रोजगार की कमी, अशिक्षा और अन्य वजहों से इन लोगों को आजीविका की तलाश में नेपाल से सटे बिहार और बाढ़ प्रभावित कोसी क्षेत्र से नेपाल जाना पड़ता है।

 

मुख्य समाचार

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

Published

on

Loading

पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

Continue Reading

Trending