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नौकरियों की कमी नहीं, नौकरियों के आंकड़े नहीं हैं : मोदी

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नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्षी नौकरियों के मामले में ‘अपनी इच्छानुसार’ एक तस्वीर बना रहे हैं, क्योंकि हमारे पास नौकरियों पर पर्याप्त आंकड़े मौजूद नहीं हैं।

मोदी ने ‘स्वराज्य’ पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा, नौकरियों की कमी से ज्यादा, नौकरियों पर आंकड़े की कमी की समस्या है। हमारे विपक्षी स्वाभाविक रूप से इस अवसर का इस्तेमाल अपनी इच्छानुसार तस्वीर बनाने और हमपर आरोप मढ़ने में कर रहे हैं। मैं हमारे विपक्षियों को नौकरी के मुद्दे पर हमपर आक्षेप लगाने का आरोप नहीं लगाता हूं, आखिरकार किसी के पास भी नौकरियों पर वास्तविक आंकड़ा मौजूद नहीं है।

उन्होंने कहा कि नौकरियों को मापने का पारंपरिक ढांचा ‘नए भारत की नई अर्थव्यवस्था में नए रोजगार को मापने के लिए पर्याप्त नहीं है।’

उन्होंने साथ ही कहा कि यह हमारे नौजवानों के हितों और आकांक्षाओं को पूरा नहीं करता है।

उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, देश में सामान्य सेवा केंद्रों को चलाने वाले ग्रामीण स्तर पर तीन लाख उद्यमी हैं और ये ज्यादा रोजगार पैदा कर रहे हैं। स्टार्ट-अप नौकरियों की संख्या बढ़ रही है और यहां लगभग 15,000 स्टार्ट-अप्स हैं, जिसे सरकार ने मदद दी है और कइयों का संचालन शुरू होने वाला है।

प्रधानमंत्री ने कहा, अगर हम नौकरियों की संख्या को देखे तो, ईपीएफओ के पेरोल डेटा के अनुसार, सितंबर 2017 से अप्रैल 2018 तक 41 लाख औपचारिक नौकरियों का सृजन हुआ है। ईपीएफओ के डेटा पर अध्ययन के अनुसार, पिछले वर्ष औपचारिक क्षेत्र में 70 लाख नौकरियों का सृजन हुआ है।

मोदी ने कहा कि औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों के सृजन से अनौपचारिक क्षेत्र में भी अतिरिक्त उत्पाद प्रभाव (स्पिनऑफ इफेक्ट) पैदा होगा, जोकि कुल नौकरियों का 80 प्रतिशत बैठता है।

उन्होंने कहा, अगर आठ माह में औपचारिक क्षेत्र में 41 लाख नौकरियों का सृजन होता है, तो औपचारिक व अनौपचारिक क्षेत्र में कितनी नौकरियों का सृजन होगा।

मोदी ने कहा, मुद्रा योजना के अंतर्गत 12 करोड़ से ज्यादा ऋण दिए गए हैं। क्या यह आशा करना गलत है कि एक ऋण से कम से कम एक व्यक्ति की जीविका का निर्माण होता है या सहायता मिलती है।

उन्होंने कहा, पिछले एक वर्ष में एक करोड़ से भी ज्यादा घरों का निर्माण हुआ है। इससे कितना रोजगार पैदा हुआ? अगर प्रति माह सड़क का निर्माण दोगुना हो रहा है, अगर रेलवे, राजमार्गो, विमानन कंपनियों में जबरदस्त वृद्धि हो रही है, तो यह किसकी ओर इशारा करता है?

मोदी ने रोजगार सृजन को लेकर राजनीतिक बहस में ‘स्थिरता की कमी’ का आरोप लगाया और कहा कि अगर राज्य सरकार लाखों नौकरियों के सृजन का दावा कर रही है तो, यह कैसे हो सकता है कि केंद्र सरकार नौकरियों का सृजन नहीं कर रही है?

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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